सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: विश्व किडनी दिवस के अवसर पर एम्स भोपाल में “किडनी ट्रांसप्लांट का भविष्य” विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया ।
सेमिनार का उद्घाटन करते हुए एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक (डॉ) अजय सिंह ने कहा कि हमारे देश में अंगदान को लेकर बहुत सारी भ्रांतियां और गलतफहमियां व्याप्त हैं जो कई धार्मिक मान्यताओं से भी जुड़ी हैं। इन्हें दूर करने के लिए समाज में जागरूकता लाने की आवश्यकता है। इसके लिए स्कूलों में जाकर कार्यक्रम चलाना चाहिए क्योंकि जब हम बच्चे को जागरुक कर लेंगे तो एक पूरी पीढ़ी जागरूक हो जाएगी।

जिससे आने वाले दिनों में यह जो भ्रांतियां, गलतफहमियां हैं ये नहीं रहेंगी। किडनी की बीमारी को रोकने के भी हमें प्रयास करने होंगे। जीवन शैली में बदलाव लाना होगा जिससे कि ट्रांसप्लांट की आवश्यकता ही ना पड़े । आज देश में प्रति वर्ष लगभग 2 लाख लोगों में किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है ।

यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ देवाशीष कौशल ने कहा कि एम्स में किडनी ट्रांसप्लांट की शुरुआत तो हो चुकी है लेकिन अभी एक लंबा सफर तय करना है। एम्स भोपाल में किडनी ट्रांसप्लांट का सेटअप देश के सभी एम्स संस्थानों में से सबसे बड़ा है। आज ब्रेन डेड लोगों का अंगदान समय की आवश्यकता है।

स्वयंसेवी संस्था किरण फाउंडेशन के सचिव डॉ राकेश भार्गव ने कहा कि एक डोनर आठ लोगों को जीवन दे सकता है । भारत में हर साल लगभग 5 लाख लोगों को विभिन्न अंगदान की जरूरत पड़ती है। उनकी संस्था एम्स भोपाल के साथ मिलकर अंगदान को बढ़ावा देने के लिए काम करेगी। इसके अतिरिक्त डोनेट लाइफ एनजीओ के संस्थापक श्री निलेश मांडलेवाला ने ब्रेन डेड व्यक्ति के अंग दान के लिए समाज को प्रेरित कैसे करें विषय पर, जबकि अहमदाबाद के इंस्टिट्यूट ऑफ़ किडनी डिजीज एंड रिसर्च सेंटर के प्रोफेसर डॉ सैयद जमाल रिजवी ने ब्रेन डेड लोगों के अंगदान की प्रक्रिया कैसे की जाए इस संबंध में चर्चा की ।