सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर अजय सिंह संकाय और छात्रों के बीच अकादमिक उत्कृष्टता और ज्ञान-साझाकरण की संस्कृति को सदैव बढ़ावा देते रहते हैं। उनके मार्गदर्शन में, एम्स भोपाल ने विभिन्न शैक्षणिक मंचों पर उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं।
विभिन्न सम्मेलनों और कार्यशालाओं में संकाय सदस्यों की भागीदारी न केवल उनके कौशल को बढ़ाती है बल्कि उन्हें नवीनतम प्रगति के साथ अद्यतन भी रखती है। हाल ही में, एम्स भोपाल में फार्माकोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर शुभम अटल को प्राकृतिक उत्पाद/आयुष चिकित्सा प्रणाली पर स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (पीजीआईएमईआर), चंडीगढ़ में आयोजित दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन में मौखिक पेपर प्रस्तुति के लिए प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
यह सम्मेलन 21 अप्रैल तक पीजीआईएमईआर के फार्माकोलॉजी विभाग द्वारा भारत सरकार के राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय एवं इंटरनेशनल यूनियन ऑफ बेसिक एंड क्लिनिकल फार्माकोलॉजी (आईयूपीएचएआर) के सहयोग से आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन के द्वारा प्रतिभागियों को प्राकृतिक उत्पादों और पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में हुई प्रगति और नवीनतम जानकारियों से रूबरू होने का एक अवसर प्राप्त हुआ।
डॉ. शुभम अटल की प्रस्तुति हर्ब ड्रग इंटरेक्शन (एचडीआई) पर केंद्रित थी, जिसका शीर्षक था ” एम्री प्लस की तुलनात्मक प्रभावकारिता और सुरक्षा एवं रोडेंट टाइप 2 डाइबिटीज़ मॉडल में मेटफोर्मिन के साथ इसकी प्रतिक्रिया। ” इस शोध कार्य हेतु भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा 2-वर्ष के लिए 21 लाख रुपये का अनुदान दिया गया है ।
इसमें मधुमेह प्रबंधन के लिए एलोपैथिक और आयुर्वेदिक दवाओं के संयुक्त उपयोग पर अध्ययन किया जा रहा है । शुभम अटल के नेतृत्व वाली अंतःविषय टीम में फार्माकोलॉजी, आयुष, पैथोलॉजी और ट्रांसलेशनल मेडिसिन विभागों से प्रोफेसर बालाकृष्णन एस, दानिश जावेद, सुश्री समन पठान, प्रोफेसर गरिमा गोयल और मेघा कटारे पांडे शामिल थे। एम्स भोपाल द्वारा प्राप्त निष्कर्ष, एलोपैथिक और आयुर्वेदिक दवाओं एक साथ उपयोग पर सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। क्योंकि इनमें लाभकारी और हानिकारक दोनों प्रकार की परस्पर क्रिया की संभावना होती है, जो कि दवाओं पर निर्भर करती है।