सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: एम्स के कार्यपालक प्रो. अजय सिंह, संकाय और छात्रों के बीच अकादमिक उत्कृष्टता और ज्ञान-साझाकरण की संस्कृति को सदैव बढ़ावा देते रहते हैं। उनके मार्गदर्शन में, एम्स ने विभिन्न शैक्षणिक मंचों पर उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। विभिन्न सम्मेलनों और कार्यशालाओं में संकाय सदस्यों की भागीदारी न केवल उनके कौशल को बढ़ाती है बल्कि उन्हें नवीनतम प्रगति के साथ अद्यतन भी रखती है। हाल ही में, एम्स के डॉ. बी. एल. सोनी ने चेन्नई में आयोजित 16वें एशियन कांग्रेस ऑफ ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी में, सीमित उन्नत संसाधनों का उपयोग करके कॉमिन्यूटेड जिगोमैटिक मैक्सिलरी कॉम्प्लेक्स (गाल की हड्डी) की चोटों के प्रबंधन के लिए एक नई तकनीक पेश की। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 16 एशियाई देशों के 2,000 मैक्सिलोफेशियल सर्जन उपस्थित थे। इस सम्मे लन में डॉ. सोनी ने चेहरे की हड्डियों के फ्रैक्चसर के प्रबंधन पर “एम्स प्रोटोकॉल” का प्रस्तुत किया।
डॉ. सोनी ने चेहरे की हड्डियों के फ्रैक्चर्स के प्रभावी प्रबंधन के लिए एक नई तकनीक पेश की, जिसमें सीमित उन्नत संसाधनों का उपयोग करके चेहरे को काफी हद तक कोई पूर्व की स्थिति में लाया जा सकता है। इस प्रोटोकॉल द्वारा 14 मामलों में सफलतापूर्वक सर्जरी करके चेहरे के स्व रूप को बिगडने से बचा लिया गया। मैक्सिलोफेशियल सर्जरी के क्षेत्र में इस नई तकनीक से महत्वपूर्ण बदलाव आएंगे।
एम्स के (डॉ.) अजय सिंह का मानना है कि चेहरे की हड्डियों के फ्रैक्चर के प्रबंधन में “एम्स प्रोटोकॉल” युवा सर्जनों के लिए एक बेहतर तकनीक साबित हो सकती है, जिससे वे जटिल चेहरे की चोटों को बेहतर ढंग से संभाल सकें और अंततः रोगी के परिणामों में सुधार कर सकें।