सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : एम्स भोपाल में कार्यपालक निदेशक अजय सिंह के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस के अवसर पर बाल रोग विभाग द्वारा एक जागरूकता एवं परामर्श सत्र का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) के सहयोग से पीडियाट्रिक ओपीडी परिसर में आयोजित किया गया, जिसमें थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के अभिभावकों सहित अनेक लोगों ने भाग लिया।
वर्ष 2025 की थीम “थैलेसीमिया के लिए एकजुट: समुदायों को जोड़ना, रोगियों को प्राथमिकता देना” रही, जो इस रोग के खिलाफ सामुदायिक एकजुटता को दर्शाती है।
डीएम रेज़िडेंट अनुराग मोहंती ने बताया कि थैलेसीमिया के लक्षण जन्म के तुरंत बाद नहीं दिखते, लेकिन 6 माह से 2 वर्ष के भीतर स्पष्ट होने लगते हैं। वहीं, प्रो. गिरीश भट्ट ने नियमित रक्त चढ़ाने और आयरन कम करने वाली दवाओं के महत्व पर प्रकाश डाला।
एमपीआईएपी अध्यक्ष महेश महेश्वरी ने थैलेसीमिया पीड़ितों में हार्मोनल एवं विकास संबंधी समस्याओं पर ध्यान देने की बात कही। डॉ. नरेंद्र चौधरी ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट जैसे उपचारों की उपयोगिता को रेखांकित किया।
बाल रोग विभागाध्यक्ष शिखा मलिक ने विवाह से पूर्व थैलेसीमिया की जांच पर जोर दिया, जबकि डॉ. पूजा सोनी ने भ्रूण में थैलेसीमिया की जांच की प्रक्रिया समझाई।कार्यक्रम के अंत में प्रो. अजय सिंह ने जागरूकता और समय पर हस्तक्षेप को थैलेसीमिया से लड़ने की सबसे बड़ी ताकत बताया।

#थैलेसीमिया_जागरूकता #एम्स_भोपाल #थैलेसीमिया_दिवस_2025 #बच्चों_की_स्वास्थ्य #डॉ_अजय_सिंह #थैलेसीमिया_रोकथाम #बोन_मैरो_ट्रांसप्लांट #IAP_सहयोग #चिकित्सा_सलाह #हीमोग्लोबिन_समस्या