सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक अजय सिंह के मार्गदर्शन में, संस्थान ने एक बार फिर चिकित्सा अनुसंधान, नवाचार और स्वस्थ्य देखभाल के क्षेत्र में अपनी उत्कृष्टता को साबित किया है।
हाल ही में संस्थान ने बच्चों के रक्त कैंसर उपचार में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए एक सात वर्षीय बच्ची का सफल हापलो-आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया, जो रिलेप्स्ड एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (बाल्य रक्त कैंसर) से पीड़ित थी। यह जटिल प्रक्रिया एक महीने पहले चिकित्सा ऑन्कोलॉजी और हीमेटोलॉजी विभाग के निदेशक गौरव ढींगरा और निदेशक सचिन बंसल के नेतृत्व में की गई। बच्ची का इलाज एम्स भोपाल के बाल्य ऑन्कोलॉजी विभाग में निदेशक नरेंद्र चौधरी की देखरेख में हो रहा था। ट्रांसप्लांट के लिए मरीज के भाई को डोनर के रूप में चुना गया, जो आधे एचएलए (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) में मेल खाते थे।
मरीज को माइलो-अब्लेटिव कंडीशनिंग रेजिमेन के तहत संपूर्ण शरीर की रेडियोथेरेपी (टोटल बॉडी इरैडिएशन) दी गई, जिसे रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के निदेशक सैकत दास, विपिन खराडे और भौतिक विज्ञानी (आरएसओ) अवनीश मिश्रा द्वारा सफलतापूर्वक संचालित किया गया। यह प्रक्रिया एम्स भोपाल के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि बच्चों में रक्त कैंसर के लिए ऐसी उन्नत बोन मैरो ट्रांसप्लांट सुविधा प्रदान करने वाला एम्स दिल्ली के बाद यह दूसरा एम्स बन गया है।
निदेशक सिंह ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा, “यह सफलता एम्स भोपाल के समर्पण और उन्नत चिकित्सा सेवाओं का प्रमाण है। हापलो-आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट जैसी जटिल प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक पूरा करना हमारे संस्थान की टीम की विशेषज्ञता और समर्पण को दर्शाता है। इस उपलब्धि से एम्स भोपाल ने बच्चों के रक्त कैंसर उपचार में एक नई दिशा स्थापित की है।” प्रो. सिंह ने मरीज के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की और नियमित फॉलो-अप का सुझाव दिया।
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