सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक अजय सिंह संकाय सदस्यों और छात्रों के बीच अकादमिक उत्कृष्टता और ज्ञान-साझाकरण की संस्कृति को सदैव बढ़ावा देते रहते हैं। प्रो. सिंह से प्रेरित होकर संकाय सदस्य विभन्न शोध कार्यों में असाधारण प्रदर्शन कर रहे हैं। हाल ही में, एम्स भोपाल के संकाय सदस्यों ने भोपाल के चिरायु मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन “शरीरक्रिया विज्ञान के दृष्टिकोण से आयुर्वृद्धि: दीर्घायु होने का रहस्य खोलना” में सक्रिय रूप से भाग लिया।
यह सम्मेलन भारतीय फिजियोलॉजी सोसाइटी (PSI) और भारतीय फिजियोलॉजिस्ट और फार्माकोलॉजिस्ट एसोसिएशन (APPI) के सहयोग से आयोजित किया गया था। सम्मेलन का उद्देश्य आयुर्वेद के विभिन्न पहलुओं को समझना था, जिसमें शारीरिक, नैदानिक, मानसिक और जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं शामिल थीं।
इस कार्यक्रम में, एम्स भोपाल के डीन (शोध) रेहान-उल-हक ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। उन्होंने स्वस्थ उम्र बढ़ने को बढ़ावा देने के लिए जीवनशैली में बदलाव के महत्व पर जोर दिया, जिसमें संगीत चिकित्सा, सामुदायिक जीवन, पौधे-आधारित आहार और दैनिक शारीरिक गतिविधि शामिल हैं। उन्होंने एम्स भोपाल और चिरायु मेडिकल कॉलेज के बीच एक समझौता ज्ञापन (MOU) की संभावनाओं पर भी चर्चा की, जो इन क्षेत्रों में शोध और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
सम्मलेन में एम्स भोपाल के शरीरक्रिया विज्ञान के अतिरिक्त प्रोफेसर वरुण मल्होत्रा द्वारा योगोदा सत्संग सोसाइटी (YSS) से प्रेरित एक ध्यान सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें 310 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। एम्स भोपाल की अतिरिक्त प्रोफेसर. रागिनी श्रीवास्तव ने “उम्र बढ़ने की शरीरक्रिया विज्ञान” विषय पर एक संक्षिप्त व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने उम्र बढ़ने के सिद्धांतों और ऑक्सीडेटिव तनाव की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। इसके अलावा, एम्स भोपाल के शारीरिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. संतोष वाकोड़े ने एक सत्र की अध्यक्षता की, जिसमें प्रमुख विशेषज्ञों ने आयुर्वेद और दीर्घायु से संबंधित नए सिद्धांतों और व्यावहारिक दृष्टिकोणों पर चर्चा की।
निदेशक सिंह ने इस सम्मेलन के महत्व पर कहा, “यह राष्ट्रीय सम्मेलन आयुर्वृद्धि और दीर्घायु के विषय पर एक महत्वपूर्ण संवाद का अवसर प्रदान करता है। यह हम सभी को यह समझने का अवसर देता है कि दीर्घायु सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानसिक और जीवनशैली के पहलुओं से भी गहरे तौर पर जुड़ी हुई है। एम्स भोपाल में, हम ऐसे शोध और ज्ञान के प्रसार के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो समाज को समग्र रूप से स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने में सक्षम बनाए।”

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