सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक अजय सिंह के नेतृत्व में नेत्र रोग विभाग ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। विभाग को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) से 1.5 करोड़ रुपये का बाह्य अनुसंधान अनुदान प्राप्त हुआ है।
यह अनुदान, “स्कूल जाने वाले बच्चों में मायोपिया प्रगति के विश्लेषण और पूर्वानुमान के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित उपकरण विकसित करना” परियोजना के लिए दिया गया है। मायोपिया एक ऐसा दृष्टि दोष है जिसमें दूर की चीजें धुंधली दिखती हैं, जबकि पास की चीजें साफ दिखती हैं।
इस परियोजना की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए प्रो. सिंह ने कहा, “स्कूल जाने वाले बच्चों में मायोपिया के बढ़ते मामले एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या हैं। एआई आधारित उपकरण का विकास इस समस्या को रोकने और शुरुआती चरण में प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परियोजना स्वास्थ्य सेवाओं में नवाचार और अनुसंधान के प्रति एम्स भोपाल की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। बच्चों में मायोपिया का समय पर समाधान कर हम उनके जीवन को बेहतर बना सकते हैं।”
परियोजना की मुख्य अन्वेषक, नेत्र रोग विभाग की एडिशनल प्रोफेसर प्रीति सिंह ने बताया कि यह शोध मैनिट, भोपाल के सहयोग से तीन वर्षों में पूरा किया जाएगा। इस अध्ययन का उद्देश्य डिजिटल युग में बढ़ते मायोपिया के मामलों को समझना है, जो बच्चों में बढ़ते स्क्रीन टाइम और बाहरी गतिविधियों की कमी के कारण तेजी से बढ़ रहा है। निदेशक प्रीति सिंह ने कहा कि मायोपिया का समय पर पता लगाने से इसके प्रगति को धीमा करने और रोकथाम के उपाय लागू करने में मदद मिलेगी।
परियोजना के तहत भोपाल डिवीजन के पांच जिलों के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल जाने वाले बच्चों का सर्वेक्षण किया जाएगा। इस सर्वेक्षण के आधार पर एक एआई आधारित डिजिटल ऐप विकसित किया जाएगा, जो मायोपिया के प्रगति का पूर्वानुमान लगाने और इसे शुरुआती चरण में प्रबंधित करने में मदद करेगा। यह परियोजना एम्स भोपाल के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आधुनिक तकनीक और सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान को एक साथ लाकर नई चुनौतियों का समाधान खोजने में मदद करेगी।

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