सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक अजय सिंह के मार्गदर्शन में फॉरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग ने फॉरेंसिक अपडेट VII कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में ESCMID स्टडी ग्रुप ऑफ फॉरेंसिक और पोस्ट-मॉर्टम माइक्रोबायोलॉजी (ESGFOR) के सहयोग से, पोस्ट-मॉर्टम माइक्रोबायोलॉजी पर एक हैंड्स-ऑन वर्कशॉप भी आयोजित किया गया। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में 90 से अधिक डेलीगेट्स ने भाग लिया। वर्कशॉप का उद्देश्य पोस्ट-मॉर्टम जांच में माइक्रोबायोलॉजी के महत्वपूर्ण क्षेत्र में ज्ञान और व्यावहारिक कौशल को बढ़ाना था।
प्रो. सिंह ने इस कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। उन्होंने फॉरेंसिक मेडिसिन में होने वाली प्रगति और पोस्ट-मॉर्टम जांचों में माइक्रोबायोलॉजी के योगदान पर जोर दिया। इस वर्कशॉप ने प्रतिभागियों को फॉरेंसिक माइक्रोबायोलॉजी में नवीनतम तकनीकों और प्रथाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया, जो विशेष रूप से मृत्यु के जटिल कारणों से जुड़े मामलों में सहायक होती है। अपने संबोधन में प्रो. सिंह ने फॉरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में निरंतर शिक्षा और प्रशिक्षण की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने फॉरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग को इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई दी और ESGFOR के साथ सहयोग की सराहना की।
अरनीत अरोड़ा और जयंती यादव के द्वारा आयोजित यह फॉरेंसिक अपडेट कार्यक्रम विगत सात वर्षों से फॉरेंसिक विज्ञान में अकादमिक उत्कृष्टता के लिए महत्वपूर्ण मंच रहा है। इस कार्यक्रम में प्रो. शशांक पुरवार, अनिल अग्रवाल, निहान जियादे (तुर्की), प्रो. मार्था कोहेन (यूके), अम्पारो फर्नांडीज-रोड्रिग्ज (स्पेन), निदेशक सागर, देबासिस बिस्वास और निदेशक बादकुर ने पोस्टमॉर्टम माइक्रोबायोलॉजी के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की। प्रो. अनिल अग्रवाल ने सस्पेक्टेड सेप्टिसीमिया मामलों में नमूना संग्रह तकनीकों पर एक व्याख्यान दिया।
फॉरेंसिक अपडेट VII और इसके साथ आयोजित वर्कशॉप में देशभर के विशेषज्ञों और पेशेवरों ने भाग लिया, जिन्होंने पोस्ट-मॉर्टम माइक्रोबायोलॉजी में अपने कौशल को बढ़ाने के लिए विभिन्न सत्रों और इंटरएक्टिव मॉड्यूल्स में भाग लिया। यह पहल एम्स भोपाल की फॉरेंसिक मेडिसिन के क्षेत्र में निरंतर प्रगति और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ सहयोग को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता का हिस्सा है, ताकि फॉरेंसिक विज्ञान के सर्वोत्तम मानकों को सुनिश्चित किया जा सके।