सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक अजय सिंह के मार्गदर्शन में, माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसका शीर्षक था “कल्चर मीडिया प्रिपरेशन इन माइक्रोबायोलॉजी – गेटिंग द फर्स्ट स्टेप राइट”। यह कार्यशाला भारत में पहली बार आयोजित की गई है, जिसका उद्देश्य माइक्रोबायोलॉजिकल डायग्नोस्टिक्स के महत्वपूर्ण पहलुओं को सामने लाना था।
कार्यशाला का उद्घाटन और विशेष बुकलेट का अनावरण प्रो. अजय सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रो. सिंह ने माइक्रोबायोलॉजी में कल्चर मीडिया प्रिपरेशन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “आजकल जब माइक्रोबायोलॉजिकल तकनीकें तेजी से आणविक और स्वचालित हो रही हैं, तब भी कल्चर-आधारित तकनीकें एटियोलॉजिकल डायग्नोसिस की पुष्टि के लिए स्वर्ण मानक बनी हुई हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि उच्च गुणवत्ता वाले कल्चर मीडिया की तैयारी माइक्रोबायोलॉजिकल जांच की सटीकता के लिए जरूरी है, और यह कार्यशाला पेशेवरों को इस दिशा में आवश्यक विशेषज्ञता देने के लिए अहम कदम है।
माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख देबाशीष बिस्वास ने कहा कि कल्चर तकनीकों का महत्व तो हमेशा से रहा है, लेकिन मीडिया प्रिपरेशन पर सुव्यवस्थित प्रशिक्षण अब तक किसी अकादमिक कार्यक्रम या कार्यशाला का हिस्सा नहीं था। उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला लगभग 100 प्रकार के कल्चर मीडिया की तैयारी, गुणवत्ता नियंत्रण और दस्तावेज़ीकरण पर फोकस करेगी, जो माइक्रोबायोलॉजिकल विश्लेषण के लिए जरूरी हैं। कार्यशाला की सचिव डॉ. आरती भदाड़े ने इस प्रशिक्षण की अहमियत को बताते हुए कहा कि एम्स भोपाल का मीडिया अनुभाग एनएबीएल मानकों के अनुसार कल्चर मीडिया तैयार करने में कुशल है। हम इस कार्यशाला के जरिए अपना अनुभव साझा करेंगे और दूसरे संस्थानों के माइक्रोबायोलॉजी स्टाफ को इस महत्वपूर्ण तकनीक में प्रशिक्षित करेंगे। इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया, ताकि वे गुणवत्ता नियंत्रण मानकों का पालन करते हुए कल्चर मीडिया तैयार करने का सही तरीका सीख सकें। इस बुनियादी कौशल पर ध्यान केंद्रित करके, एम्स भोपाल ने माइक्रोबायोलॉजी क्षेत्र में डायग्नोस्टिक क्षमताओं को सुधारने का लक्ष्य रखा।

#एम्सभोपाल #माइक्रोबायोलॉजी #चिकित्साशोध #स्वास्थ्यकार्यशाला