सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक अजय सिंह संकाय और छात्रों के बीच अकादमिक उत्कृष्टता और ज्ञान-साझाकरण की संस्कृति को सदैव बढ़ावा देते रहते हैं। उनके मार्गदर्शन में, एम्स भोपाल ने विभिन्न शैक्षणिक मंचों पर उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं।
विभिन्न सम्मेलनों और कार्यशालाओं में संकाय सदस्यों की भागीदारी न केवल उनके कौशल को बढ़ाती है बल्कि उन्हें नवीनतम प्रगति के साथ अद्यतन भी रखती है। हाल ही में एम्स भोपाल के बाल रोग विभाग की एमडी छात्र हर्षिता एस और उनके मार्गदर्शक प्रोफेसर गिरीश चंद्र भट्ट को इंडियन जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईजेपी) बेस्ट एमडी थीसिस इन पीडियाट्रिक्स अवार्ड प्रदान किया गया।
यह सम्मान एम्स, नई दिल्ली में आयोजित आईजेपी के वार्षिक वैज्ञानिक दिवस पर प्रदान किया गया। उनके शोध का शीर्षक था “छिपे हुए अंगों की क्षति को उजागर करना: सिकल सेल रोग वाले बच्चों में एम्बुलेटरी ब्लड प्रेशर असामान्यताओं और स्लीप एपनिया का प्रभाव।” इस समारोह में भारत के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों से चार प्रमुख उम्मीदवारों का चयन किया गया, जिनमें डॉ. हर्षिता एस भी थीं और इन सभी को 17वें के.सी. चौधरी पुरस्कार समारोह के दौरान अपने मुख्य मार्गदर्शकों के साथ शोध प्रस्तुत करने के लिए चुना गया। चयनित संस्थानों में जेआईपीएमईआर (पांडिचेरी), पीजीआईएमईआर (चंडीगढ़), एम्स जोधपुर, और एम्स भोपाल शामिल थे।
निदेशक सिंह ने इस उपलब्धि पर टिप्पणी करते हुए कहा, “यह पुरस्कार न केवल निदेशक हर्षिता की कड़ी मेहनत और समर्पण को मान्यता देता है, बल्कि हमारे पूरे संस्थान की उत्कृष्टता को भी दर्शाता है। हमारा उद्देश्य बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है, और हम डॉ. हर्षिता जैसे प्रतिभाशाली शोधकर्ताओं के माध्यम से सिकल सेल रोग और अन्य जटिलताओं की पहचान और उपचार में नवाचार लाने का प्रयास करते रहेंगे।
इस शोध में यह बताया गया है कि सिकल सेल रोग वाले बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति को बेहतर समझने के लिए इकोकार्डियोग्राफी, एम्बुलेटरी ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग और प्रोटीनुरिया जैसे परीक्षणों की नियमित जांच कितनी महत्वपूर्ण है। चूंकि किडनी की बीमारी वयस्कता में सिकल सेल रोग से पीड़ित लोगों में आमतौर पर समस्याएँ पैदा करती है, इसलिए शुरुआती पहचान और सही समय पर इलाज के लिए विभिन्न परीक्षणों का उपयोग जरूरी है।
इससे भविष्य में होने वाली जटिलताओं को कम करने और इन बच्चों की जीवन की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलेगी। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन भी इन बच्चों में रक्तचाप की निगरानी और किडनी की विफलता के शुरुआती लक्षणों की जांच करने की सिफारिश करता है ताकि किसी भी गंभीर समस्या से पहले ही निपटा जा सके। प्रो. सिंह ने हर्षिता और उनके मार्गदर्शक गिरीश चंद्र भट्ट, और उनकी विशेषज्ञ सहयोगियों की टीम को इस महत्वपूर्ण शोध में उनके योगदान के लिए हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह शोध न केवल प्रशंसनीय है, बल्कि यह सिकल सेल रोग के उपचार के लिए नए मार्ग खोलने की क्षमता भी रखता है।