सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक अजय सिंह के मार्गदर्शन में, संस्थान ने एक बार फिर चिकित्सा अनुसंधान, नवाचार और स्वस्थ्य देखभाल के क्षेत्र में अपनी उत्कृष्टता को साबित किया है। हाल ही में, एक 20 वर्षीय मरीज गंभीर सांस की तकलीफ और दिल की धड़कन तेज होने की शिकायत के साथ एम्स भोपाल में भर्ती हुआ।
कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग के विशेषज्ञों की टीम द्वारा किए गए मूल्यांकन में मरीज के दाहिने एट्रियम में गठान तथा दाहिने वेंट्रिकल में कमजोरी पाई गयी। ओपन हार्ट सर्जरी आमतौर पर हृदय को अस्थायी रूप से रोककर की जाती है, जिसमें हार्ट-लंग मशीन हृदय का कार्य संभालती है। हालांकि, इस गंभीर स्थिति में हृदय को रोककर सर्जरी करना ऑपरेशन सम्बंधित खतरों को बढ़ा देता है। इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि मरीज का इलाज एक जटिल सर्जरी के माध्यम से किया जाएगा, जिसमें पंप-असिस्टेड बीटिंग हार्ट (धड़कते ह्रदय में) तकनीक का उपयोग किया जाएगा ताकि उसके हृदय के कार्य को स्थिर रखा जा सके।
प्रो. सिंह ने इस उपलब्धि के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “यह मामला समय पर हस्तक्षेप और हमारी बहु-विशेषज्ञ टीम की उन्नत क्षमताओं का प्रतीक है। हमारी कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभाग की विशेषज्ञता, हमें इस मरीज को आवश्यक और गंभीर देखभाल प्रदान करने में सक्षम बनाता है।” मरीज की सर्जरी पंप-असिस्टेड बीटिंग हार्ट तकनीक के साथ सफलतापूर्वक की गई, जो एक अत्याधुनिक विधि है, जो सर्जरी के दौरान हृदय के कार्य को स्थिर रखती है। यह विधि विशेष रूप से उन मरीजों के लिए महत्वपूर्ण है जिनका हृदय कार्य कमजोर होता है, जिससे बेहतर परिणाम और शीघ्र सुधार संभव होता है। इस मरीज की सर्जरी कार्डियोथोरेसिक विभाग के प्रमुख योगेश निवारिया की देखरेख में किया गया था। सर्जिकल टीम में एम किशन, सुरेंद्र यादव, राहुल शर्मा, विक्रम वट्टी और आदित्य सिरोही शामिल थे। एनेस्थीसिया टीम से नागभूषणम, पर्फ्यूजनिस्ट टीम से सुषमा और वेदांत, एवं नर्सिंग टीम से पूनम और हंसा भी इस सर्जरी का हिस्सा थी।
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