सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक अजय सिंह के मार्गदर्शन में, एम्स भोपाल ने “एआई के माध्यम से साइटोलॉजी स्क्रीनिंग – कैंसर स्क्रीनिंग और निदान में प्रगति” पर एक कार्यशाला आयोजित की। इस कार्यक्रम में बताया गया कि अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) केवल एक बूंद रक्त से कैंसर का पता लगा सकता है। यह अत्याधुनिक लिक्विड बायोप्सी तकनीक महंगे सीटी स्कैन या एमआरआई की आवश्यकता को समाप्त कर सकती है, जिससे कैंसर का निदान तेजी से, अधिक सटीक और व्यापक रूप से सुलभ हो जाएगा। इस पहल का नेतृत्व प्रो. अजय सिंह ने किया, जिन्होंने आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल में एआई की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, “यह क्रांतिकारी तकनीक कैंसर के निदान को पूरी तरह बदलने की क्षमता रखती है। यह बिना लक्षण वाले मरीजों में भी प्रारंभिक चरण में कैंसर का पता लगा सकती है। कैंसर की स्क्रीनिंग को तेज और अधिक सुलभ बनाकर, हम विशेष रूप से दूर-दराज और पिछड़े क्षेत्रों में अनगिनत जानें बचा सकते हैं।” पारंपरिक विधियों में सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी महंगी प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है, जबकि यह एआई-संचालित तकनीक कैंसर का प्रारंभिक चरण में ही पता लगाने में सक्षम है, जिससे शीघ्र उपचार शुरू कर मरीज की जीवन बचाने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, यह तकनीक मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करके कैंसर की सटीक पहचान करने में मदद करती है और आनुवंशिकी एवं जीवनशैली के आधार पर कैंसर के जोखिम का अनुमान भी लगाती है।
यह कार्यशाला एम्स भोपाल के बायोकेमिस्ट्री और पैथोलॉजी विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गई थी, जिसमें विशेषज्ञों द्वारा व्यावहारिक प्रशिक्षण और व्याख्यान दिए गए। इस कार्यशाला में प्रमुख योगदानकर्ताओं में प्रोफेसर जगत आर. कंवर (कार्यशाला प्रमुख), सुखेस मुखर्जी (समन्वयक, बायोकेमिस्ट्री विभाग), प्रोफेसर वैशाली वाल्के, जय चौरसिया और शक्ति कुमार यादव (पैथोलॉजी विभाग) और नीलम कोल्टे (बाहरी संसाधन विशेषज्ञ) शामिल थे। देशभर के 40 से अधिक पैथोलॉजिस्ट, ऑन्कोलॉजिस्ट और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) विशेषज्ञों ने इस कार्यशाला में भाग लिया, जिससे एआई-आधारित कैंसर निदान में बढ़ती रुचि स्पष्ट होती है।
एआई पहले ही कैंसर निदान में अविश्वसनीय सटीकता साबित कर चुका है। गूगल का लिम्फ नोड असिस्टेंट (LYNA), आईबीएम का वॉटसन फ़ॉर ऑन्कोलॉजी और स्टैनफोर्ड का चेक्सनेट जैसी उन्नत एआई प्रणालियाँ अमेरिका और यूरोप में कैंसर निदान में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रही हैं। अब, एम्स भोपाल इस तकनीक को भारत ला रहा है ताकि अत्याधुनिक कैंसर निदान छोटे क्लीनिकों और ग्रामीण अस्पतालों में भी उपलब्ध कराया जा सके।
इस कार्यशाला में एआई-आधारित डिजिटल पैथोलॉजी तकनीक प्रस्तुत की गई, जो कोशिकाओं की अत्यंत स्पष्ट डिजिटल छवियां उत्पन्न कर तत्काल चिकित्सा हस्तक्षेप को संभव बनाती है। तेजी से स्कैनिंग और स्वचालित विश्लेषण के साथ, एआई अत्यधिक सटीक और कुशल निदान सुनिश्चित करता है, जिससे समय लेने वाली मैनुअल विधियों पर निर्भरता कम होती है। इस कार्यशाला में दो अत्याधुनिक एआई सिस्टम भी पेश किए गए: ऑप्ट्रास्कैन अल्ट्रा, जो बड़े प्रयोगशालाओं के लिए आदर्श है और एक बार में 80 से 480 स्लाइड स्कैन कर सकता है, और ऑप्ट्रास्कैन लाइट, जो छोटे प्रयोगशालाओं के लिए डिज़ाइन किया गया है और जिसकी क्षमता 15 स्लाइड तक है।
रोगियों को एआई -संचालित कैंसर पहचान से त्वरित निदान, उच्च सटीकता, अधिक पहुंच और कम लागत का लाभ मिलेगा, क्योंकि यह महंगे सीटी स्कैन और एमआरआई की आवश्यकता को समाप्त कर देगा। कार्यशाला के समापन अवसर पर प्रोफेसर जगत आर. कंवर ने कहा, “एआई कैंसर निदान और उपचार में क्रांति ला रहा है। यह तकनीक निरंतर विकसित होगी और आने वाले वर्षों में लाखों लोगों की जान बचा सकती है। एआई-संचालित निदान से हम व्यक्तिगत उपचार प्रदान कर सकते हैं, जिससे तेजी से रिकवरी और पारंपरिक कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों में कमी आएगी।”
#एम्सभोपाल #एआईकैंसरस्क्रीनिंग #स्वास्थ्य #मेडिकलरिसर्च #कृत्रिमबुद्धिमत्ता