सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: एम्स के आयुष विभाग में सिद्ध चिकित्सा प्रणाली की नई सेवाएं प्रारम्भ की गई। इस अवसर पर एम्स के कार्यपालक प्रो. अजय सिंह ने कहा, “सिद्ध चिकित्सा प्रणाली एक प्राचीन पद्धति है जो पुरानी बीमारियों के इलाज में बहुत प्रभावी है। साथ ही, यह समग्र स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देती है। एम्स में सिद्ध चिकित्सा की शुरुआत मरीजों को एक नया और व्यापक उपचार के विकल्प प्रदान करेगी। हमारा मानना हैं कि सिद्ध चिकित्सा और आधुनिक चिकित्सा के मेल से रोगियों को बेहतर और सटीक उपचार मिलेगा।”
सिद्ध चिकित्सा के अंतर्गत, एम्स में आउट पेशेंट और इन-पेशेंट विभागों के साथ-साथ वेलनेस सेवाएं, वर्मम मरुथुवम (प्रेशर मैनीपुलेशन थेरेपी) जैसी पारंपरिक उपचार विधियों का उपयोग की जाएगी। यह प्रणाली खासकर न्यूरोलॉजिकल विकार, गठिया, त्वचा रोग, गुर्दे की पथरी, यूटीआई, श्वसन रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, और हृदय रोगों के इलाज के लिए उपयुक्त है।
सिद्ध चिकित्सा प्रणाली में विभिन्न शाखाएं जैसे सामान्य चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, बाल रोग, प्रसूति और स्त्री रोग, और आहार विज्ञान आदि होती हैं। इसमें नाड़ी, मूत्र परीक्षण, और अन्य नैदानिक उपकरणों का उपयोग भी किया जाता है। नई उपचार प्रक्रियाओं में थोककानम, वर्मम, ओट्रादम, वेधु, योग जैसी विधियों का समावेश किया गया है, जो विशेष रूप से जटिल स्थितियों जैसे सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस और पैराप्लेजिया के इलाज में प्रभावी साबित हुई हैं।
एम्स डॉ. अजय सिंह ने कहा कि आयुष विभाग के इस नई पहल का उद्देश्य समग्र स्वास्थ्य देखभाल में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाना है और सुनिश्चित करना है कि मरीजों को वैज्ञानिक और प्रभावी उपचार प्राप्त हो सके।