सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : अहमदाबाद यूनिवर्सिटी को टाइम्स हायर एजुकेशन एशिया अवॉर्ड्स 2025 में ‘लीडरशिप एंड मैनेजमेंट टीम ऑफ द ईयर’ से सम्मानित किया गया है, जो 22 अप्रैल 2025 को मकाओ में आयोजित इस प्रतिष्ठित वार्षिक समारोह में दिया गया सर्वोच्च सम्मान है।
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जहां अक्सर पारंपरिक ढांचों का बोलबाला रहता है, वहीं अहमदाबाद यूनिवर्सिटी ने एक नया, आत्मनिर्भर मार्ग चुना है। वर्ष 2009 में विभिन्न कॉलेजों के एकीकरण के साथ स्थापित यह यूनिवर्सिटी एक ऐसी विशिष्ट शोध संस्था के रूप में उभरने की दिशा में अग्रसर रही है, जो उदार कला शिक्षा की मूल्यों पर आधारित हो, और जहाँ अंतर्विषयक दृष्टिकोण, शोध-आधारित सोच और व्यावहारिक दृष्टिकोण, शिक्षण अनुभव के हर पहलू में समाहित हो।
यह साहसिक दृष्टिकोण, संस्थागत आत्मबल और सामूहिक नेतृत्व की भावना अब एशिया के सबसे प्रतिष्ठित अकादमिक मंचों में से एक पर सम्मानित हुई है।
अवॉर्ड्स के इस सातवें संस्करण के लिए 500 से अधिक प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं थीं, जिनमें से 16 देशों और क्षेत्रों से 80 फाइनलिस्ट को शॉर्टलिस्ट किया गया। जजों ने अहमदाबाद यूनिवर्सिटी को भारत की शोध और नवाचार प्रणाली में एक अग्रणी शक्ति के रूप में देखा। उन्होंने यूनिवर्सिटी की “निर्णायक, साहसिक और कल्पनाशील कार्यवाही” की प्रशंसा की और इसे “नेतृत्व के समन्वय से कुछ ही वर्षों में परिवर्तनकारी बदलाव लाने” का उत्कृष्ट उदाहरण बताया, जिससे संस्थान के साथ-साथ उसके स्थानीय और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को भी लाभ हुआ।
अहमदाबाद यूनिवर्सिटी ने शिक्षा और कक्षा की परिकल्पना को फिर से गढ़ा है, एक गहरे उद्देश्य की भावना के साथ जो आत्मविकास और सामाजिक उन्नति की निरंतर प्रक्रिया में निहित है। यह सामूहिक प्रयास और उत्कृष्टता की निरंतर खोज का प्रमाण है,” ऐसा कुलपति प्रोफेसर पंकज चंद्रा ने कहा।
गुजरात की एक राज्य निजी विश्वविद्यालय के रूप में अहमदाबाद यूनिवर्सिटी का यह परिवर्तन व्यवस्थित और सोच-समझकर किया गया है। प्रमुख निर्णयों में शिक्षकों की संख्या बढ़ाना ताकि छात्र-शिक्षक अनुपात को बेहतर किया जा सके, प्रमुख उपकरणों और प्रयोगशालाओं में निवेश कर शोध को बढ़ावा देना, आंतरिक शोध अनुदानों में वृद्धि करना, और एक छह-वर्षीय टेन्योर प्रणाली की स्थापना शामिल रही—जो वैश्विक स्तर पर प्रचलित है लेकिन भारत में सिर्फ कुछ चुनिंदा संस्थान ही इसे अपनाते हैं।
इन अकादमिक सुधारों के साथ-साथ यूनिवर्सिटी ने समावेशन और समानता के प्रति अपनी गहन प्रतिबद्धता भी दिखाई। कमजोर वर्गों और स्थानीय भाषाओं की पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों को विशेष वरीयता देकर विविधता में सुधार के प्रयास किए गए। नीड-ब्लाइंड एडमिशन (वित्तीय स्थिति से परे प्रवेश नीति) यूनिवर्सिटी की एक मजबूत दार्शनिक प्रतिबद्धता बन गई है। सहभागी शासन के ज़रिए छात्रों और शिक्षकों को अधिक स्वायत्तता दी गई, जबकि भौतिक अधोसंरचना की पुनःकल्पना ने एक सतत, समावेशी परिसर का निर्माण सुनिश्चित किया।
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