सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : अहमदाबाद विश्वविद्यालय ने मनाया 15वां वार्षिक दीक्षांत समारोह, 2025 के स्नातकों को किया सम्मानित
अहमदाबाद विश्वविद्यालय ने अपने 15वें वार्षिक दीक्षांत समारोह के आयोजन के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। यह समारोह 2025 की स्नातक कक्षा के विद्यार्थियों की सफलता का उत्सव था, जिसमें छात्रों, उनके परिवारों, शिक्षकों, पूर्व छात्रों और विश्वविद्यालय के नेतृत्व ने न केवल शैक्षणिक उपलब्धियों का सम्मान किया, बल्कि उन मूल्यों को भी सराहा जो जीवन को सार्थक बनाते हैं।
अमृत मोदी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज और स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड एप्लाइड साइंस से कुल 833 छात्रों को डिग्रियां प्रदान की गईं। इसके अलावा 6 पीएचडी डिग्रियां भी प्रदान की गईं। शैक्षणिक उत्कृष्टता और नेतृत्व क्षमता के लिए पांच छात्रों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए: जिनय शाह (एमबीए), मुस्तफा मुरतजा रुपावाला (इंटीग्रेटेड एमबीए), प्रशंसा शाह (बीटेक), देव मोर्बिया (बीबीए ऑनर्स), और ओम पारेख (बीए ऑनर्स)।
दीक्षांत भाषण प्रसिद्ध कवि, नाटककार, विद्वान और पद्मश्री से सम्मानित प्रोफेसर सीतांशु यशशचंद्र ने दिया। उन्होंने विश्वविद्यालयों की भूमिका पर विचार करते हुए कहा,
“विकलांगता हमेशा शरीर से नहीं आती – यह अक्सर वातावरण से आती है। जब समाज लोगों का साथ नहीं देता, तो वही उन्हें विकलांग बना देता है। हमारी भाषाएं भी कठोर हो सकती हैं। भाषा शक्तिशाली होती है – यह सच्चाई को उजागर कर सकती है, छिपा सकती है या उसे तोड़-मरोड़ सकती है। आज विभिन्न विषय एक साथ आ रहे हैं, और हर एक का सोचने का अपना तरीका है। ऐसे में सवाल उठता है – क्या हम अपने कर्मों से लोगों को अक्षम बना रहे हैं? आपकी शिक्षा आपको इस प्रश्न से जूझने की शक्ति देनी चाहिए। मुझे आशा है कि अहमदाबाद विश्वविद्यालय विचारशील व्यक्तित्व और संतुलित समाज का निर्माण करता रहेगा।”
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष संजय लालभाई ने स्नातकों को सफलता और असफलता, दोनों को जीवन का अहम हिस्सा मानकर स्वीकार करने की सलाह दी। उन्होंने कहा,
“अपने जुनून और स्वाभाविक क्षमताओं का अनुसरण करें। चुनौतियों का साहस के साथ सामना करें और जिज्ञासा व सोच-समझ के साथ बदलाव लाएं।”
उपकुलपति और बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के अध्यक्ष प्रोफेसर पंकज चंद्रा ने छात्रों से बौद्धिक रूप से खुले और आत्मचिंतनशील बने रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा,
“जब आप प्रश्न पूछते हैं, तो आपके विचार अक्सर आपके विश्वासों से टकराते हैं। वहीं से असली सीखने की शुरुआत होती है। विश्वास आपको स्थिरता देते हैं, लेकिन विचार ही आपको आगे ले जाते हैं। जब आप सबसे अधिक निश्चित महसूस करें, तब सबसे अधिक स्वयं से प्रश्न करें – तभी आप सच्चाई के निकट पहुंच सकेंगे, किसी और की नहीं, बल्कि अपनी नजरों से।”
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