2036 ओलंपिक की मेज़बानी के लिए अहमदाबाद की तैयारियाँ तेज़ हो गई हैं। गुजरात सरकार और अहमदाबाद नगर निगम (AMC) द्वारा अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) को प्रस्तुत किए जाने हेतु “गारंटी दस्तावेज़” तैयार किया जा रहा है, जिसमें आवश्यक सुविधाओं और बुनियादी ढांचे का खाका होगा।
✦ मुख्य योजनाएँ:
अहमदाबाद मेट्रो नेटवर्क का विस्तार — प्रमुख ओलंपिक स्थलों को जोड़ने हेतु।
10 अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियमों का निर्माण — केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह द्वारा पुष्टि।
अनुमानित व्यय: $7.5 बिलियन (₹64,000 करोड़) — जो 2028 लॉस एंजेलेस ओलंपिक से भी अधिक है।
✦ प्रमुख चिंताएँ:
आर्थिक भार का मुद्दा:
भारत अभी भी एक विकासशील देश है।
ऐसे भारी निवेश के बीच शिक्षा, स्वास्थ्य, जल एवं बुनियादी सेवाओं में संसाधनों की कमी अभी भी गंभीर समस्या बनी हुई है।
पूर्व आयोजनों से सबक:
दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स (2010) के बाद कई सुविधाएं अनुपयोगी हो गईं।
बड़े आयोजन के बाद उपयोगिता व रखरखाव अक्सर उपेक्षित रह जाते हैं।
जनता की प्राथमिकताएँ:
आम नागरिकों की प्राथमिकता रोज़गार, स्वास्थ्य, और शिक्षा जैसी बुनियादी आवश्यकताएँ हैं।
क्या जनता को ऐसे आयोजन से वास्तविक लाभ होगा?
वैश्विक छवि बनाम ज़मीनी ज़रूरतें:
ओलंपिक जैसे आयोजन से भारत को वैश्विक पहचान मिलेगी।
लेकिन क्या यह पहचान उस कीमत पर सही है, जब देश के कुछ हिस्से आज भी बिजली-पानी जैसी सुविधाओं से वंचित हैं?
✦ सकारात्मक संभावनाएँ:
आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण — सड़कों, सार्वजनिक परिवहन और स्टेडियमों का विकास।
अंतरराष्ट्रीय निवेश और पर्यटन को प्रोत्साहन।
खेल संस्कृति और युवाओं में जागरूकता में वृद्धि।
✦ निष्कर्ष:
भारत को यह विचार करना होगा कि क्या यह निवेश “समावेशी विकास” के सिद्धांत के अनुरूप है। अगर यह आयोजन पारदर्शिता, लाभ की न्यायसंगत पहुँच और लंबी अवधि के उपयोग के उद्देश्य से किया जाए — तो यह एक ऐतिहासिक अवसर बन सकता है।
अन्यथा, यह एक विलासिता भरा निर्णय बनकर देश की विकास यात्रा को भटका सकता है।
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