भोपाल । परिवहन विभाग व हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने वाली कंपनी लिंक उत्सव का सुप्रीम कोर्ट के आर्बिटल में अंतिम फैसला हो गया है। आर्बीट्रल ने लिंक उत्सव का ठेका पुनर्जीवित कर दिया है। विभाग ने जो सिक्योरिटी राशि जब्त की थी, उसे भी वापस करने के निर्देश दिए हैं। ठेका पुनर्जीवित होने के बाद लिंक उत्सव अपनी शर्तों के साथ काम करना चाहता है। इसे ध्यान में रखते हुए परिवहन विभाग ने महाधिवक्ता से विधिक राय ली है कि ऐसी में स्थिति में क्या किया जाए। ताकि प्रदेश के लोग प्रभावित न हों। प्रदेश में 50 लाख वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगना है। ये वाहन प्रदेश से बाहर जाते हैं तो उन्हें जुर्माना भुगतना पड़ता है। क्योंकि 1 अप्रैल 2019 के बाद हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाना अनिवार्य है। पुराने वाहनों पर यह लग नहीं रही है। वाहन निर्माता कंपनियां भी पुराने वाहनों को प्लेट नहीं दे रही हैं।

परिवहन विभाग जनवरी 2012 में लिंक उत्सव कंपनी से हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने का अनुबंध किया था। इस कंपनी ने हर जिले में प्लेट लगाने का काम शुरू कर दिया, उसके बाद कंपनी शिकायतें आने लगीं। प्लेटों की गुणवत्ता ठीक नहीं थी। साथ ही 19 लाख वाहनों का पैसा दिया गया था, लेकिन 9 लाख वाहनों पर प्लेट लगाई। शर्तों का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए अक्टूबर 2014 में कंपनी का ठेका निरस्त कर दिया। इसके बाद लिंक उत्सव न्यायालय की शरण में चली गई। हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की युगल पीठ ने लिंक उत्सव के पक्ष में फैसला दिया था। इस फैसले को परिवहन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आर्बिटल को केस भेज दिया। मध्यस्था के माध्यम से विवाद को सुलझाया जाए। सेवा निवृत्त जजों की कमेटी ने सुनवाई की। दोनों पक्षों को पूरा मौका दिया गया। विभाग आर्बिटल में साबित नहीं कर पाया कि 19 लाख वाहनों का पैसा लिया और उनकी नंबर प्लेट नहीं लगाई। इस आधार पर आर्बिटल ने लिंक उत्सव के पक्ष में फैसला दिया। विभाग इस कंपनी से काम करना चाहता था, लेकिन वह अपनी शर्तों के साथ काम करना चाहता है। इस पेंच चलते हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने का काम खडाई में पड़ गया। जनता के हित को देखते हुए विभाग ने विधिक राय ली है।

50 लाख वाहन आए हैं सड़कों पर

अक्टूबर 2014 से 1 अप्रैल 2019 के बीच प्रदेश में सभी तरह के करीब 50 लाख वाहन नए खरीदे गए हैं। इन वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं है। बाजार से प्लेट खरीदकर नंबर लिखवाये हैं। 1 अप्रैल 2019 के बाद हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट अनिवार्य कर दी है। दूसरे राज्यों में बिना प्लेट के गाड़ी मिलती है तो जुर्माना भरना पड़ता है। विशेष कर दिल्ली एनसीआर में इस प्लेट को लेकर काफी सख्ती है। जुर्माना होने के बाद लोग परिवहन विभाग पहुंचते हैं। 1 अप्रैल 2019 के बाद जो वाहन खरीदे गए हैं, उन पर निर्माता कंपनी ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेटें लगाई हैं। पुराने वाहन वाले विभाग के पास शिकायत लेकर जाते हैं तो लोगों को निराशा मिलती है। प्लेट लगाने वाला वेंडर नहीं है।

इनका कहना है

– आर्बिटल ने लिंक उत्सव के ठेके को पुनर्जीवित कर दिया है। राशि जब्त की गई थी, उसे भी लौटाने का आदेश दिया है। इस संबंध में महाधिवक्ता कार्यालय से विधिक राय मांगी है।

अरविंद सक्सेना, अपर आयुक्त परिवहन विभाग