आगरा । हाईवे पर लगातार हो रहे हादसों को रोकने की नए सिरे से कवायद शुरू की गई है। इसके लिए एनएचएआई ने पहल की है। इसके तहत कानपुर-आगरा हाईवे पर एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम लागू कर दिया गया है। व्यवस्था को अमलीजामा पहनाने और बुनियादी ढांचे के लिए टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं। कानपुर रीजन के हाईवे पर सबसे पहले ट्रायल होगा। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नोडल अधिकारी ने पहले ही एनएचएआई को रिपोर्ट दे दी है।

कानपुर में चकेरी-इटावा, कबरई और लखनऊ-कानपुर राजमार्ग को हादसों से मुक्त कराने की योजना बनाई गई है। आगरा के बाद कानपुर के हाईवे पर योजना लागू होगी। इसमें आउटडोर उपकरण मसलन इमरजेंसी कॉल बॉक्स, क्लोज्ड सर्किट टेलीविजन, सीसीटीवी, पीटीजेड, स्पीड इनफॉर्मेशन सिस्टम एवं ऑटोमेटिक काउंटर-कम-क्लासिफायर स्थापित किए जाएंगे। सिस्टम हाईवे पर दौड़ रहे ओवरस्पीड वाहनों पर नजर रखेगा। इसके लिए ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरे लगाए जाएंगे।

इसके साथ ही कंट्रोल रूम भी बनाया जाएगा, जहां पर इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले बोर्ड से मॉनीटरिंग की जाएगी। इसी योजना में नेटवर्क मैनेजमेंट सिस्टम सहित सेंट्रल कंप्यूटर सीसीटीवी मॉनीटर सिस्टम, काल सेंटर सिस्टम भी लगेंगे। आगे आने वाले समय में हाईवे पर वाहन सवारों को बदलते मौसम की जानकारी भी मिल सकेगी। इसके लिए ऑप्टिकल फाइबर केबिल का जाल बिछाने की भी तैयारी की गई है। एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर एनएन गिरि ने माना कि सिस्टम लागू होने से दुर्घटनाओं पर रोक लगेगी।

वहीं, मेडिकल कॉलेज के नोडल अधिकारी डॉ. मनीष सिंह का कहना है कि हाईवे पर होने वाले हादसों को लेकर रेस्क्यू ऑपरेशन का ब्लूप्रिंट एनएचएआई को दिया जा चुका है। कानपुर रीजन में हाईवे पर सर्वाधिक हादसे संकरी जीटी रोड पर होते हैं। इस रूट पर रोजाना 2.69 लाख वाहन दौड़ते हैं। एनएचएआई के तीन साल के सर्वे में सामने आया है कि हर महीने यहां पर 22-25 लोग घातक चोट के शिकार होते हैं, इसमें हेड इंजरी, कम्पाउंड फ्रैक्चर शामिल है। इसके अलावा फ्रैक्चर और चोट के शिकार हर महीने 40-45 लोग होते हैं।

वहीं, हमीरपुर-कबरई हाईवे पर मौरंग-गिट्टी के कारण रोज तीन एक्सीडेंट होते हैं। सर्वाधिक हादसे बिधनू क्षेत्र में होते हैं। इस हाईवे पर 57 हजार भारी और ओवरलोड वाहन रोज चलते है। वहीं, चकेरी से अनंतराम और कोखराज के बीच हादसे बीते पांच साल में कम हुए हैं। 2015 में इन दोनों रूट पर रोज 7 एक्सीडेंट का पुलिस रिकॉर्ड रहा जो घटकर अब चार रह गया है। चकेरी-कोखराज के बीच एक्सीडेंट के 59 फीसदी मामले ग्रामीणों के बेधड़क निकलने वाले ट्रैक्टरों के कारण होते हैं।