सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने 15 वर्षीय नाबालिग लड़की की अधेड़ उम्र के व्यक्ति से की गई शादी को शून्य घोषित कर दिया है। हाईकोर्ट ने इस शादी को मानसिक और शारीरिक क्रूरता का मामला मानते हुए कहा कि नाबालिग लड़की शादी के बाद के दायित्वों को निभाने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार नहीं हो सकती। हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार लड़की की शादी की न्यूनतम उम्र 18 और लड़के की 21 साल निर्धारित है, इसलिए इस शादी को अवैध माना गया।

यह मामला 2008-2009 का है, जब नाबालिग की शादी एक अधेड़ व्यक्ति से कर दी गई थी। एक साल बाद, लड़की ने जिला कोर्ट में शादी को शून्य घोषित करने की याचिका दायर की, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद 2014 में हाईकोर्ट में अपील दायर की गई, और लगभग 10 साल चली सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने जिला कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया।

कोर्ट ने इसे क्रूरतम मामला मानते हुए कहा कि नाबालिग लड़की की एक वयस्क पुरुष से शादी मानसिक और शारीरिक क्रूरता का कारण बन सकती है, और इसके तहत तलाक का दावा किया जा सकता है। इस फैसले को निचली अदालतों के लिए एक नजीर माना जा रहा है।