सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कइंटीग्रेटेड ट्रेड .. न्यूज़ भोपाल : इन दिनों, विवेक ओबेरॉय अपनी सीरीज ‘इंडियन पुलिस फोर्स’ को लेकर चर्चा में है। सीरीज में वे इंस्पेक्टर विक्रम बख्शी का किरदार निभाते नजर आ रहे हैं। साल 2002 से अपना एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाले विवेक की मानें तो अब वे पैसों के लिए काम बिलकुल नहीं करते।

दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान, विवेक ने अपनी नई सीरीज, रोहित शेट्टी के साथ काम करने का अनुभव, बॉलीवुड से ज्यादा साउथ की फिल्में करने के पीछे की वजह पर खुलकर बातचीत की। बातों-ही-बातों में वे रोहित को ‘डॉक्टर रोहित शेट्टी’ क्यों बुलाना पसंद करते हैं, ये भी बताया। बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:

सुना है, आप रोहित को ‘डॉक्टर रोहित शेट्टी’ बुलाते हैं?

जी हां, उन्होंने पुलिस के सब्जेक्ट पर PhD जो कर रखी है। यकीन मानिए, उनके साथ जब आप बतौर एक्टर काम करेंगे तो निश्चित तौर पर आप कुछ सीख कर ही घर लौटोगे। जितनी उन्हें इस सब्जेक्ट को लेकर इनफार्मेशन है, जितनी टेक्निकल बातों की जानकारी हैं, उतनी किसी भी फिल्म मेकर को नहीं है।

एक एक्टर होने के नाते आपको बिलकुल मेहनत नहीं करनी पड़ती। आपको बस, रोहित की हर बातों को अपनाना है और आगे बढ़ते रहना है। यहीं वजह है कि मैं उन्हें ‘डॉक्टर रोहित शेट्टी’ बुलाता हूं। वे अपने काम में माहिर है।

एक सीन के दौरान, रोहित समेत पूरी टीम ने आपके लिए ताली बजाई थी?

देखिए, रोहित परफेक्शनिस्ट हैं। मैंने सुना भी और देखा भी है की वे किसी भी शॉट से जल्द ही इम्प्रेस नहीं होते। लेकिन, मैं इस मामले में खुशकिस्मत रहा। मुझे याद है, मैं एक पेचीदा सीन परफॉर्म कर रहा था और रोहित के कट कहने का इंतजार कर रहा था, लेकिन काफी वक्त तक उन्होंने उस सीन को कट नहीं कहा। मैंने भी हार नहीं मानी, सीन जारी रखा। कुछ देर बाद, मैं भी सोचने लगा की आखिरकार हो क्या रहा है?

कुछ देर बाद, मैंने खुद ही सीन को ब्रेक किया और रोहित भाई की तरफ देखा। वे मुस्कुराए और कहा – ‘मैं हमेशा इस रोल में आप ही को देखता था, आपके साथ काम करने में बहुत मजा आया। आप अब रोहित शेट्टी के परिवार का हिस्सा बन गए हो।’ इतना कहकर रोहित समेत पूरी टीम मेरे लिए ताली बजाने लग गई। वो मोमेंट मेरे लिए हमेशा यादगार रहेगा।

इस सीरीज का सबसे चुनौतीपूर्ण मोमेंट क्या रहा?

एक्शन। वाकई में, मेरे लिए एक्शन करना आसान नहीं था। मुझे शारीरिक तौर पर काफी मेहनत करनी पड़ी। हर दिन, गिरना-पटकना बहुत तकलीफदायक होता था। मुझे याद है, हर दिन पैक अप के बाद जब घर जाकर शॉवर लेता तब दर्द का एहसास होता था।

वैसे, रोहित सिर्फ पुलिस के कॉन्सेप्ट में ही नहीं बल्कि एक्शन में भी गुरु हैं। उन्होंने स्टंट मास्टर, वीरू देवगन (अजय देवगन के पिता) के देखरेख में स्टंट सीखा है। मुझे पूरा यकीन है कि वीरूजी आज रोहित को देखकर बहुत गर्व महसूस करते होंगे। इंडियन सिनेमा में रोहित ने जिस तरह से स्टंट को पुनः परिभाषित किया है, वो अद्भुत है।

सुना है, आप बतौर प्रोड्यूसर भी नए टैलेंट की मदद कर रहे हैं?

जी हां, मैं नए टैलेंट को हमेशा सपोर्ट करता हूं और आगे भी करूंगा। हालांकि, बदले में उनसे ये वादा लेता हूं कि वे अपने प्रोजेक्ट से जो भी कमाएं, उसका कुछ हिस्सा जरूरतमंद लड़कियों की पढ़ाई या उनके हेल्थकेयर में इस्तेमाल करेंगे। यदि मेरी इस मुहिम से किसी एक बच्ची की भी मदद हो, मुझे इससे संतुष्टि मिलती है।