भारत ने आज 21 मई 2025 को पाकिस्तान के उस बयान को दो टूक खारिज कर दिया जिसमें खैज़दार, बलूचिस्तान में सेना-विद्यालय की बस पर हुए आत्मघाती विस्फोट के पीछे ‘भारतीय हाथ’ होने का आरोप लगाया गया था। विदेश मंत्रालय के अनुसार यह दावा “दुनिया को भरमाने का असफल प्रयास” है और पाकिस्तान का पुराना हथकंडा—अपने भीतर फैले आतंकवाद से ध्यान भटकाने का।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक चार बच्चों की दर्दनाक मौत ने सीमा-पार संवेदना जरूर जगाई, पर ट्विटर-रेडिट पर बहस का रुख साफ था: भारत को आलोचना के बजाय सहानुभूति मिल रही है, जबकि पाक सरकार पर ‘दिशाहीन प्रोपगैंडा’ चलाने का आरोप लग रहा है।
पड़ोसी पर झूठा ठीकरा फोड़ना इस्लामाबाद की पुरानी रणनीति रही है; मगर इस बार वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की विश्वसनीयता और भी प्रश्नों के घेरे में है—चाहे वह FATF की निगाह हो या पश्चिमी मीडिया की रिपोर्टिंग। भारत ने न सिर्फ़ आरोपों को खारिज किया, बल्कि बलूचिस्तान के निर्दोष विद्यार्थियों के प्रति संवेदना भी प्रकट की, यह दर्शाकर कि मानवीय आधार पर वह सदा आतंक के विरुद्ध खड़ा रहेगा।
कूटनीतिक दृष्टि से यह पल निर्णायक है: यदि पाकिस्तान आतंकी संरचनाएँ नियंत्रित करने के बजाय दिशाहीन आरोप दोहराता रहेगा, तो उसकी अंतरराष्ट्रीय अलग-थलग स्थिति और गहराएगी। भारत को चाहिए कि वह अपनी तथ्यों पर आधारित प्रतिक्रिया के साथ वैश्विक साझेदारों को लगातार सचेत रखे और आतंकवाद के विरुद्ध खुफिया सहयोग को मज़बूत करे।
संक्षेप में, आज का सटीक जवाब यह स्पष्ट कर देता है—भारतीय नीति ‘आतंक का निराकरण, आरोपों का प्रतिकार’ पर आधारित है, और खोखले दावों से उसकी दृढ़ता डिगेगी नहीं।
#राजनीतिकआरोप #तथ्यआधारितराजनीति #सटीकजवाब #जनसंपर्क #लोकतांत्रिकसंवाद #छविप्रबंधन #मीडियारिएक्शन