प्योंगयांग । उत्तर कोरिया की एक जेल में भूख से तड़प रहे कैदियों को पहली सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं। इन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि कैदी भूख की वजह से कितने कमजोर हो गए हैं। चीन सीमा से कुछ दूर स्थित लेबर कैंप में करीब 2,500 कैदियों को रखा गया है, जो पास के खेतों में काम करने को मजबूर हैं। ये कैदी उत्तर कोरिया के सैनिकों के लिए वर्दी, सर्दियों के लिए कोट, टोपी, जूते और साइकिल का निर्माण करते हैं।
दुर्भाग्य से जो लोग उत्तर कोरियाई शासन की गिरफ्त में आ जाते हैं, उन्हें दिन में 12 घंटे काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। इन्हें भयावह हालात में बिना भोजन के रहना पड़ता है। इतनी क्रूरता होने के बाद भी यह कैंप ‘कम गंभीर’ कैंपों में से एक है। सबसे गंभीर अपराध, जैसे राजनीतिक अपराध, वाले कैदियों को क्वान-ली-सो शिविरों में दंडित किया जाता है। हालांकि उत्तर कोरिया शासन इसके अस्तित्व से इनकार करता है।
हालिया सैटेलाइट तस्वीरों में अनाज के ढेर के साथ समूह में खड़े कैदी दिखाई देते हैं। एक अन्य तस्वीर में कैदियों को इंडस्ट्रियल वर्कशॉप से घिरे एक यार्ड में देखा जा सकता है। उत्तर कोरिया से भागे और शिविर के बारे में जानकारी रखने वाले किम डूह्युन ने कहा कि फोटो खिंचवाने वाले कैदियों को जबरन श्रम का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कभी-कभी कैदियों को आस-पास के खेतों में काम करने के लिए इकट्ठा किया जाता है। जब वे काम पर जाते हैं या वापस आते हैं तो उन्हें लाइन में लगकर चलना पड़ता है। उन्होंने बताया कि कैदियों की वर्दी ग्रे है और वे एक ही रंग की टोपी पहनते हैं। जैसा फोटो में देखा जा सकता है कि कैदियों का सिर हल्का सफेद नजर आता है।
कैदियों की सैटेलाइट फोटो यह साबित करती है कि तास एन्गि नी अभी भी काम कर रही है। किम ने कहा कि जिन कैदियों को उनके परिवारों की ओर से भोजन नहीं भेजा जाता, उनका जीवित रहना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि परिवार कैदियों को भोजन के रूप में मदद कर सकता है। लेकिन पूरा भोजन कैदियों तक नहीं पहुंचता, उसमें कुछ भाग अधिकारी ले लेते हैं।