चीन में कोरोना की अब तक की सबसे खतरनाक लहर से जूझ रहा है. वहां संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. इस बीच भारत में भी चिंता बढ़ गई है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकारों को सभी पॉजिटिव मामलों की जीनोम सिक्वेंसिंग करवाने की सलाह दी है ताकि वैरिएंट को ट्रैक किया जा सके. ऐसे में जानना जरूरी है कि भारत में टेस्टिंग कितनी हो रही है? हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर कितना मजबूत है?
कोरोना एक बार फिर लौट रहा है. चीन में तो कोरोना की अब तक की सबसे बड़ी लहर आई है. वहां संक्रमण की रफ्तार तेज हो चली है. सिर्फ चीन ही नहीं, बल्कि अमेरिका, जापान, ब्राजील, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में भी संक्रमण बढ़ रहा है. वहीं, महामारी विशेषज्ञ एरिक फिगल डिंग ने दावा किया है कि अगले 90 दिनों में चीन की 60 फीसदी और दुनिया की 10 फीसदी आबादी कोरोना संक्रमित हो सकती है. उन्होंने आशंका जताई है कि इसकी वजह से लाखों मौतें हो सकतीं हैं. इससे पहले अमेरिका के भी एक हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि अगले साल चीन में कोरोना से 10 लाख लोग मारे जा सकते हैं. इस बीच भारत में भी कोरोना की नई लहर आने का खतरा बढ़ गया है. मंगलवार को केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से कहा है कि सभी पॉजिटिव मामलों की जीनोम सिक्वेंसिंग करें ताकि वैरिएंट को ट्रैक किया जा सके. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया भी आज रिव्यू मीटिंग करने वाले हैं.
चीन समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. अब भी हर हफ्ते दुनिया में लगभग 35 लाख नए मामले सामने आ रहे हैं. लेकिन भारत में कोरोना के मामले तेजी से घट रहे हैं.
भारत में जुलाई के बाद से ही कोरोना के मामलों में गिरावट आने लगी है. हफ्तेभर में देश में कोविड के 1100 से भी कम मामले सामने आए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 14 से 20 दिसंबर के बीच देश में कोरोना के 1,083 नए मामले सामने आए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, मंगलवार को देश में 131 नए मामले सामने आए हैं. इस समय देश में कुल 3,408 एक्टिव केसेस हैं.
हालांकि, इसकी एक वजह टेस्टिंग में कमी भी हो सकती है. इस समय देश में टेस्टिंग बहुत कम हो गई है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के मुताबिक, मंगलवार को देश में 1.15 लाख जांच हुई. जबकि, कोरोना के मामले जब बढ़ते हैं तो एक दिन में 20-20 लाख जांचें होती थीं.
ओमिक्रॉन की वजह से आई तीसरी लहर का पीक इस साल 21 जनवरी को आया था. उस दिन देश में कोरोना के 3.47 लाख से ज्यादा मामले सामने आए थे. 21 जनवरी को देश में 19.60 लाख से ज्यादा जांच हुई थी. वहीं, दूसरी लहर का पीक 6 मई 2021 को आया था. तब एक दिन में 4.14 लाख से ज्यादा मामले सामने आए थे
उस दिन 18.26 लाख से ज्यादा टेस्ट हुए थे.
यानी, पीक वाले दिन भारत में जितनी टेस्टिंग हुई थी, अब उसकी तुलना में 95 फीसदी कम टेस्ट हो रहे हैं.
कितना मजबूत है भारत का हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर?
चीन में अभी कोरोना से ठीक वैसे ही हालात हैं, जैसे दूसरी लहर के समय भारत में हुए थे. वहां पर अस्पतालों में जगह नहीं है. लोगों को अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है.
स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है.
चीन में कोविड की नई लहर से हालात इस कदर बिगड़ रहे हैं कि उससे उसकी स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है. और ये सब तब है जब उसका हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर भारत से कहीं ज्यादा मजबूत है.
वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, चीन में हर 10 हजार लोगों पर 22 से ज्यादा डॉक्टर हैं, जबकि भारत में इतनी आबादी पर 12 डॉक्टर भी नहीं हैं.
चीन स्वास्थ्य पर पर अपनी जीडीपी का 7 फीसदी से भी ज्यादा खर्च करता है, लेकिन भारत 2 फीसदी के आसपास ही. ऐसे में अगर कोरोना की नई लहर आती है तो उससे निपटने के लिए भारत कितना तैयार है? सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जून 2022 तक देशभर में 13.08 लाख से ज्यादा से ज्यादा एलोपैथिक डॉक्टर हैं. इनके अलावा 5.64 लाख आयुष डॉक्टर्स भी हैं. इस हिसाब से भारत में हर 834 लोगों पर एक डॉक्टर है. ये अच्छा भी है. क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर एक हजार आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए.
वहीं, पिछले साल सरकार ने संसद में जो आंकड़े दिए थे, उसके मुताबिक दिसंबर 2021 तक देशभर में एक करोड़ से ज्यादा हेल्थकेयर वर्कर्स थे. हेल्थकेयर वर्कर्स में डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ शामिल हैं.