नई दिल्‍ली । पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस सिलेंडर के बाद अब दवाओं पर भी महंगाई की मार पड़ने वाली है। अप्रैल से 800 से ज्‍यादा जरूरी दवाओं के दाम में 10 प्रतिशत तक बढत होगी। इनमें बुखार, हृदय रोग, हाई ब्‍लड प्रेशर, त्‍वचा रोग और एनीमिया के उपचार में इस्‍तेमाल होने वाली दवाएं भी शामिल हैं।

अगले महीने से से पेनकिलर और एंटी बायोटिक जैसे पैरासिटामॉल फिनाइटोइन सोडियम, मेट्रोनिडाजोल जैसी जरूरी दवाएं महंगी मिलने लगेंगी। दरअसल, केंद्र सरकार ने शेड्यूल ड्रग्‍स की कीमतों में वृद्धि को हरी झंडी दिखा दी है। नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी के मुताबिक इन दवाओं के दाम थोक महंगाई दर के आधार पर की गई है।

दरअसल, कोरोना महामारी के बाद से फार्मा इंडस्‍ट्री दवाओं की कीमत बढ़ाए जाने की लगातार मांग कर रही थी। एनपीपीए ने शेड्यूल ड्रग्‍स के लिए कीमतों में 10.7 प्रतिशत बढ़ोत्‍तरी की मंजूरी दे दी है। गौतलब है ‎कि शेड्यूल ड्रग्‍स में आवश्‍यक दवाएं शामिल हैं और इनकी कीमतों पर नियंत्रण होता है।

इनके दाम बगैर अनुमति नहीं बढ़ाए जा सकते हैं। जिन दवाओं के दाम बढ़ने जा रहे हैं, उनमें कोरोना के मध्‍यम से लेकर गंभीर लक्षणों वाले मरीजों के इलाज में इस्‍तेमाल की जाने वाली दवाएं भी शामिल हैं।

फार्मा कंप‎नियों के ‎विशेषज्ञों के मुताबिक पिछले दो साल के दौरान कुछ प्रमुख एपीआई की कीमतें 15 से 130 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है। पैरासिटामोल की कीमतों में 130 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं सिरप और ओरल ड्रॉप के साथ कई अन्‍य दवाओं और मेडिकल एप्‍लीकेशन में उपयोग होने वाले ग्लिसरीन के दाम 263 प्रतिशत और पॉपीलन ग्‍लाइकोल की कीमत 83 प्रतिशत तक बढ़ गई है।

इंटरमीडिएट्स के दाम 11 प्रतिशत से 175 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। बढ़ती लागत को देखते हुए पिछले साल 2021 के आ‎ख्रिर में फार्मा कंप‎नियों ने केंद्र सरकार से दवाओं के दाम बढ़ाने का आग्रह किया था। पिछले साल नवंबर में एक लॉबी समूह जो 1000 से अधिक भारतीय दवा निर्माताओं का प्रतिनिधित्व करता है, ने सरकार से सभी निर्धारित फॉर्मूलेशन की कीमतों में तत्काल प्रभाव से 10 फीसदी की वृद्धि की अनुमति देने का आग्रह किया था। इसने सभी गैर-अनुसूचित दवाओं की कीमतों में 20 फीसदी की वृद्धि करने के लिए भी कहा था।