दिग्गज उद्योगपति और टाटा संस के मानद प्रमुख, पद्म विभूषण रतन टाटा का बुधवार रात को स्वर्गवास हो गया। वह 86 वर्ष के थे। उनकी मृत्यु ने भारतीय उद्योग जगत को एक गहरा धक्का दिया है।

रतन टाटा ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनकी कमी को पूरा करने वाला कोई नहीं होगा, और उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।

अब सवाल उठता है: 3,800 करोड़ का व्यवसाय साम्राज्य का उत्तराधिकारी कौन होगा? यदि रतन टाटा की कोई संतान होती, तो शायद यह सवाल न उठता।

नोएल टाटा, रतन टाटा के सौतेले भाई, इस जिम्मेदारी के लिए सबसे आगे हैं। हालांकि, यह जिम्मेदारी केवल उनके कंधों पर नहीं, बल्कि टाटा की नई पीढ़ी पर भी होगी, जो इस विरासत को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

रतन टाटा का ₹3,800 करोड़ का व्यवसाय साम्राज्य उनके नेतृत्व में और भी मजबूत हुआ। उनके कार्यों और निर्णयों ने टाटा समूह को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।

रतन टाटा की विरासत और उनके योगदान हमेशा याद रखे जाएंगे। उनकी दृष्टि और नेतृत्व ने न केवल टाटा समूह को, बल्कि पूरे भारतीय उद्योग को एक नया दिशा दिया।