आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : चोकर्स खेल की दुनिया में इस्तेमाल हो रहे सबसे नकारात्मक शब्दों में से एक है। इसे उन टीमों के ऊपर चस्पा किया जाता है जो बड़े मुकाबलों का दबाव नहीं झेल पाती। टैलेंट, रिसोर्सेज, प्लानिंग सब कुछ सही होने के बावजूद एक खास लेवल पर आकर टूट जाती है।

क्रिकेट में यह टैग साउथ अफ्रीका की टीम को मिला हुआ है। यह किसी भी फॉर्मेट के वर्ल्ड कप में आज तक एक बार भी फाइनल नहीं खेल पाई है। 13 बार सेमीफाइनल खेली, हर बार हारी। इस वर्ल्ड कप में भी यही हुआ। टीम सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गई।

साउथ अफ्रीकी की चोकिंग की इस दर्दनाक दास्तान के कुछ पन्ने पलटते हैं। इन पन्नों पर टंके नंबर्स कहानी बयान करते जाएंगे।

ऑस्ट्रेलिया की हर टीम को कंगारू नहीं कहते:विमेंस क्रिकेट टीम का नाम साउदर्न स्टार्स; रग्बी, हॉकी और फुटबॉल में भी अलग निकनेम

ऑस्ट्रेलिया से हम भारतीयों के दो ओब्सेशन हैं। यानी दो बहुत गहरे जुड़ाव।

पहला-हम खेल में ऑस्ट्रेलिया का बहुत सम्मान करते हैं। खेल पर फिल्म भी बनाते हैं तो अक्सर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया की टीम को ही हराते हैं। यानी ऑस्ट्रेलिया हमारे लिए बेंचमार्क है। उसको सामने रखकर हम खेल में अपनी सफलता को नापते हैं। वर्ल्ड कप की दौड़ में विराट सबसे आगे:56% रन दौड़कर बनाए, पिच पर 7 किलोमीटर से ज्यादा स्प्रिंट लगा चुके

विराट कोहली ने मौजूदा वर्ल्ड कप में 10 मैचों में 711 रन बना दिए हैं। सबसे ज्यादा। यह पहला मौका है जब किसी बल्लेबाज ने इस टूर्नामेंट में 700 रनों का नंबर पार किया है। यह स्टैट साबित करता है कि विराट मॉडर्न क्रिकेट की सबसे शानदार रन मशीन हैं। तभी तो सबसे आगे हैं।