सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कइंटीग्रेटेड ट्रेडन्यूज़ भोपाल: नंदमुरी तारक रामा राव यानी NTR की आज 28वीं डेथ एनिवर्सरी है। रामा राव जाने-माने एक्टर, फिल्म प्रोड्यूसर और राजनेता भी थे। 300 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके NTR इतने पॉपुलर थे कि लोग इन्हें देवता मानते थे, क्योंकि इन्होंने 17 फिल्मों में भगवान कृष्ण की भूमिका निभाई थी।

एक मंत्री ने अपमान किया तो उससे आहत होकर NTR ने 1982 में तेलगु देशम पार्टी बनाई और पॉलिटिक्स में एंट्री ली। रामाराव फेमस एक्टर Jr NTR के दादा जी हैं। इन्हें तीन नेशनल अवॉर्ड भी मिले थे। 2013 में सिनेमा के 100 साल पूरे होने पर एक पोल में उन्हें ग्रेटेस्ट एक्टर ऑफ ऑल टाइम की उपाधि दी गई थी। ये 70 साल की उम्र में दूसरी शादी करने पर भी चर्चा में आए थे।

एक्टिंग में करियर बनाने के लिए नौकरी छोड़ दी

NTR का जन्म 28 मई 1923 को आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव निम्माकारू में हुआ था। इनके माता-पिता किसान थे। बाद में इन्हें इनके मामा ने गोद ले लिया, क्योंकि उनकी कोई संतान नहीं थी। NTR को प्राइमरी एजुकेशन के बाद आगे की पढ़ाई के लिए विजयवाड़ा भेज दिया गया था जहां उन्होंने 1940 में दसवीं तक पढ़ाई की थी। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ रामा राव परिवार की मदद करने के लिए विजयवाड़ा के होटलों में दूध बेचने का काम भी करते थे।

इसके बाद उन्होंने SRR-CVR कॉलेज और आंध्र क्रिश्चियन कॉलेज, गुंटूर से आगे की एजुकेशन पूरी की। जिस साल देश को आजादी मिली, उसी साल इन्हें मद्रास सर्विस कमीशन में सब रजिस्ट्रार की नौकरी मिली, लेकिन एक्टिंग में करियर बनाने के चलते इन्होंने केवल तीन हफ्ते में ये नौकरी छोड़ दी। दरअसल, NTR को स्कूल के दिनों से ही एक्टिंग में दिलचस्पी थी। स्कूल में इन्होंने जो पहला प्ले किया, उसमें वो महिला बने थे।

NTR को भगवान राम के किरदार में भी खूब पसंद किया गया। वो लव कुश (1963) और श्री रामंजनेय युद्धम (1974) जैसी कुछ फिल्मों में राम के किरदार में दिखे। इसके अलावा उन्होंने फिल्म भूकैलास (1958), सीताराम कल्याणम (1961) जैसी फिल्मों में रावण का रोल भी किया। उन्होंने फिल्म श्री वेंकटेश्वर महात्यम (1960) में भगवान विष्णु और दक्षयाग्नम (1962) में भगवान शिव की भूमिका निभाई थी।

इन किरदारों को निभाकर रामाराव की पॉपुलैरिटी बेहद बढ़ गई। उन्हें लोग देवता तक मानने लगे। 1951 में आई इनकी फिल्म ‘पाताल भैरवी’ पहले इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में दिखाई जाने वाली फर्स्ट मूवी थी।

1951 में रिलीज हुई ‘मल्लिश्वरी’ को बीजिंग फिल्म फेस्टिवल, चाइना में दिखाया गया था, जबकि मायाबाजार (1957) और नर्तनशाला (1963) को एफ्रो एशियन फिल्म फेस्टिवल, जकार्ता, इंडोनेशिया में दिखाया गया था। इन चारों ही फिल्मों का नाम CNN-IBN की ‘100 ग्रेटेस्ट इंडियन फिल्म्स ऑफ ऑलटाइम’ की लिस्ट में शामिल किया गया था।

NTR की खास बात ये थी कि उन्होंने अपने करियर में कभी भी रिस्क लेने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई। वो कभी एक इमेज में भी नहीं बंधे। उन्होंने एक्टिंग के अलावा कई फिल्मों के स्क्रीनप्ले भी लिखे। इसके अलावा प्रोड्यूसर के तौर पर उनके मनी मैनेजमेंट की स्किल्स की भी काफी तारीफ होती थी।

आखिरी फिल्म 1993 में रिलीज हुई

1963 में रिलीज हुई फिल्म लव कुश में रामा राव ने श्रीराम का रोल प्ले किया था। इस फिल्म ने रिकॉर्ड तोड़ सफलता हासिल करते हुए 1 करोड़ का कलेक्शन किया था। इसके बाद NTR ने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया और निर्देशन की ओर कदम बढ़ाया। उनकी आखिरी फिल्म ‘श्रीनाथ कवि सर्वभौमुदु’ (1993) में आई थी, जो प्रसिद्ध तेलुगु कवि श्रीनाथ की बायोपिक थी।