दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आए हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 27 साल बाद पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ा झटका लगा। कांग्रेस, जो कभी दिल्ली की सबसे मजबूत पार्टी थी, एक बार फिर शून्य पर सिमट गई। लेकिन इस चुनाव का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि BJP की जीत में कांग्रेस और AAP की आपसी लड़ाई ने बड़ी भूमिका निभाई। अगर विपक्ष एकजुट होता, तो यह चुनावी नतीजे कुछ और हो सकते थे।
AAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन तो हुआ, लेकिन जमीनी स्तर पर यह महज दिखावा साबित हुआ। कांग्रेस के समर्थकों ने AAP को सहजता से स्वीकार नहीं किया, और आप समर्थकों ने भी कांग्रेस को पुरानी राजनीति का प्रतीक मानकर उससे दूरी बनाए रखी। नतीजा यह हुआ कि वोटों का बंटवारा हुआ और विपक्षी वोटों की ताकत बिखर गई।
इस चुनाव में BJP ने न केवल चुनावी रणनीति में बढ़त बनाई, बल्कि AAP और कांग्रेस की कमजोरियों का भी पूरा फायदा उठाया। AAP सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे, जिससे उसकी छवि प्रभावित हुई। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों पर जांच एजेंसियों की कार्रवाई ने चुनावी माहौल में अस्थिरता पैदा की। BJP ने इसे मुद्दा बनाया और जनता के मन में यह धारणा बनाई कि AAP सरकार जवाबदेही से बच रही है।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और हिंदुत्व की लहर ने भी BJP को मजबूत किया। राम मंदिर, अनुच्छेद 370 और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों ने मतदाताओं को बीजेपी के पक्ष में लामबंद किया। कांग्रेस और AAP इन मुद्दों पर कोई ठोस रणनीति नहीं बना सके, जिससे BJP का नैरेटिव हावी रहा।
दिलचस्प बात यह है कि AAP ने जिन 14 सीटों पर हार का सामना किया, वहां कांग्रेस को मिले वोटों का अंतर हार के अंतर से कम था। यानी, अगर कांग्रेस और AAP का गठबंधन जमीनी स्तर पर मजबूत होता, तो BJP को बहुमत से रोका जा सकता था। लेकिन कांग्रेस का रवैया इस बार भी असमंजस भरा रहा। कुछ जानकारों का मानना है कि कांग्रेस ने AAP को कमजोर करने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से BJP को फायदा पहुंचाया। कांग्रेस को लगता है कि अगर AAP कमजोर होगी, तो दिल्ली में उसकी खोई हुई जमीन वापस आ सकती है।
अब सवाल यह उठता है कि विपक्ष इस हार से क्या सीख लेगा। क्या AAP और कांग्रेस भविष्य में अपने मतभेद भूलकर मजबूत गठबंधन बना पाएंगे, या फिर BJP के खिलाफ यही बिखराव जारी रहेगा? अगले कुछ वर्षों में दिल्ली की राजनीति किस दिशा में जाएगी, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि विपक्ष अपनी गलतियों से सबक लेता है या नहीं। फिलहाल, दिल्ली में बीजेपी का परचम लहरा रहा है और विपक्ष अपनी ही चालों में उलझा हुआ नजर आ रहा है।

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