इंदौर को एंबारकेशन पाइंट बनाए जाने के बाद पश्चिमी मध्य प्रदेश के जायरीनों को राहत। सेंट्रल हज कमेटी द्वारा पांच साल बाद एक बार फिर इंदौर को एंबारकेशन पाइंट बनाया गया है। इसके चलते इंदौर-उज्जैन संभाग के हज यात्रियों को इंदौर से हज के लिए उड़ान मिलने का रास्ता साफ हुआ है। हालांकि हज पर जाने वालों की नजर अब इंदौर और मुंबई से उड़ान के किराये के फर्क पर टिकी है। अगर खर्च चार-पांच हजार रुपये अधिक रहा तो पहली पसंद इंदौर ही होगा।
अगले कुछ दिनों में सेंट्रल हज कमेटी की बैठक होने वाली है। इसमें तय किए गए 25 एंबारकेशन पाइंट से फ्लाइट का किराया स्पष्ट किया जाएगा। इस बार कमेटी द्वारा हज के लिए आवेदन फार्म निश्शुल्क रखे गए हैं। उम्र का बंधन भी समाप्त कर दिया गया है। शहरकाजी डा. इशरत अली ने कहना है कि इंदौर को एंबारकेशन पाइंट बनाया गया है, लेकिन इंदौर और मुंबई का किराया अलग-अलग है। सभी जगह से एक जैसा किराया होना चाहिए। चाहे तो इंदौर और मुंबई के बीच किराए के बीच जो फर्क आता है, उसे ले लिया जाए, लेकिन अगर यह फर्क ज्यादा हुआ तो हज पर जाने वालों का बजट प्रभावित होगा।
कम से कम 250 आवेदन जरूरी
2017 तक इंदौर से करीब हर वर्ष 2400-2500 श्रद्धालु उड़ान भरते थे। इस वर्ष कितने यात्री इंदौर से हज जाने की मंशा व्यक्त करते हैं, यह बात इंदौर-मुंबई के बीच के किराये में आने वाले फर्क फर निर्भर करता है। इंदौर से फ्लाइट शुरू होने के लिए कम से कम 250 यात्रियों के आवेदन आना जरूरी है।
हज पर जाने वालों के स्वागत की तैयारी
इंदौर को एंबारकेशन पाइंट बनाए जाने से मुस्लिम समाज के सेवाभावी संगठनों में उत्साह है। सदर बाजार स्थित हज हाउस पर यात्रियों का स्वागत किया जाएगा। उनके रहने-खाने के साथ ही आवास की सभी व्यवस्था होगी। इसमें समाज के चुनिंदा सेवाभावी लोग इसका खर्च उठाएंगे और सैकड़ों समाजजन व्यवस्था में सहयोग देंगे।
नौ वर्ष तक इंदौर से भरी उड़ान शहर से हज यात्रा 2009 से 2017 तक जारी रही। 2018 में उड़ान बंद कर दी गई। तब से लगातार इंदौर से हज यात्रा शुरू करने के प्रयास किए जा रहे थे। हालांकि इस बीच तीन साल कोरोना के चलते सीमित संख्या में यात्री गए। इस वर्ष डेढ़ लाख लोग जाएंगे।