आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भारतीय समाज और भारत के मूल में सेवा का भाव समाहित है। एक ही चेतना सभी प्राणियों में व्याप्त है। यह भारतीय संस्कृति का मूल विचार है। संत कबीर ने भी कहा कि ” साहिब तेरी साहिबी, सब घट रही समाय, जो मेहंदी के पात में, लाली लखी न जाय।” अर्थात् परमात्मा प्रत्येक मनुष्य में हैं लेकिन दिखाई नहीं देता। जिस तरह लाल रंग, हरी मेहंदी के पत्ते में समाहित है, लेकिन दिखता नहीं है। सेवा और साधना से मनुष्य का योगदान दिखाई देता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन हॉल में जी-20 के सेवा समिट के समापन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने अनेक समाजसेवियों को भी सम्मानित किया। कार्यक्रम में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष श्री विनय सहस्त्रबुद्धे सहित अनेक अतिथि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हम, मनुष्यों के साथ ही पशु-पक्षियों और पर्यावरण की रक्षा के लिए भी सजग रहते हैं। जन्म से ही सेवा की घुट्टी पिलाई जाती है। जियो और जीने दो का भाव मन में होता है। बिना संवेदना और अपनत्व भाव के सेवा नहीं हो सकती । देश के हर गाँव और कस्बे में कथाएँ होती हैं, तो कहा जाता है धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो। यह मंत्र भारत ने ही दिया है। हमारे संतों ने हजारों साल पहले कहा कि सभी प्राणी सुखी हों, इसके लिए हम मन में बंधुत्व का भाव रखें। यह सेवा समिट विश्व मानवता, विश्व बंधुत्व और सेवा के भाव को सशक्त बनाएगा। यह भाव जीवन को सार्थक बनाता है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि भारत का दृष्टिकोण, अपने आप में दुनिया की तमाम समस्याओं का समाधान भी है। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी “वसुधैव कुटुम्बकम्” के भाव को सशक्त बना रहे हैं। पेड़ लगाने का कार्य आचरण में हो, भाषण में नहीं, तभी हमारी भूमिका सार्थक होगी। अन्य लोग भी ऐसे कार्यों से प्रेरित होते हैं। मुझे संतोष है कि मैं ढाई वर्ष से निरंतर प्रतिदिन पौधा लगा रहा हूँ। धरती की सेवा के लिए और कम से कम अपनी आवश्यकता की आक्सीजन को ध्यान में रखते हुए हर व्यक्ति को पेड़ लगाना चाहिए। दीन-दुखियों और दरिद्रों की सेवा से भी जीवन सार्थक होता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह सम्मेलन सेवा के भाव को एक नया अर्थ देगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सिविल : 20 सेवा समिट में देश-विदेश से आए समस्त प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति मन का और आत्मा का सुख प्राप्त करना चाहता है। यदि कोई नागरिक आपराधिक प्रवृत्ति का है तो भी उसमें दया का भाव विद्यमान होता है। आत्मा के सुख के लिए व्यक्ति सेवा कार्य में संलग्न हो जाता है। मन और आत्मा के सुख को प्राप्त करने का भाव परोपकार और सेवा कार्य की प्रेरणा प्रदान करता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इससे जुड़े व्यवहारिक जीवन के अनुभव साझा करते हुए उदाहरण भी दिए।

मुख्यमंत्री श्री चौहान मूलतः सेवा योगी- डॉ. सहस्रबुद्धे

डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान मूलतः सेवा योगी है। उन्होंने दो दशक से प्रदेश की सेवा करते हुए जनता के साथ अपनत्व का रिश्ता बनाया है। जनता को अपने साथ जोड़ते हैं इसलिए प्रदेश के मामा कहलाते हैं। सेवा करना हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। जी 20 में सेवा का विषय शामिल किया जाना अपने आप में गर्व की बात है। भारत में हुए सेवा सम्मेलन में “वसुधैव कुटुंबकम्” का संदेश पूरे विश्व को प्रेरणा देगा।