आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल :  ‘हर सफलता के पीछे संघर्ष छिपा होता है।’ टीम इंडिया के विकेटकीपर बल्लेबाज ईशान किशन ने इस वाक्य को सही साबित किया है। वे 7 से 11 जून तक खेले जाने वाले वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल के लिए भारतीय क्रिकेट टीम में चुने गए हैं। यदि ईशान को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलने का मौका मिलता है, तो यह ईशान का टेस्ट करियर का डेब्यू मैच होगा।

WTC फाइनल से पहले ईशान किशन के पिता प्रणव पांडे ने दैनिक भास्कर को उनके संघर्ष की दास्तां सुनाई। प्रणव ने ईशान के संघर्ष, उनके शुरुआती करियर, WTC सिलेक्शन और IPL प्रदर्शन पर खुलकर बातचीत की। उन्होंने बताया कि एक सीरीज के लिए टीम की घोषणा होनी थी, ईशान कंफर्म था कि उनका सिलेक्शन पक्का होगा, पर टीम में मौका नहीं मिला। उसके बाद ईशान दो दिन तक टेंशन में रहे। कुछ दिनों तक प्रैक्टिस करने भी नहीं गए। प्रस्तुत है संपादित अंश…

सवाल: ईशान झारखंड से खेलते हैं और एम धोनी भी। दोनों विकेटकीपर बल्लेबाज हैं। किशन धोनी से कितना प्रभावित हैं?

ईशान के पिता: जब IPL की शुरुआत हुई, तब ईशान काफी छोटा था, लेकिन वह तभी से धोनी को बतौर बल्लेबाज अपना आदर्श मानता है। जब वह कीपिंग करने लगा, तो वह धोनी से और ज्यादा प्रभावित हुआ। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन पर BCCI की ओर से बैन होने की वजह से उसे झारखंड जाना पड़ा। वहां उसे धोनी के करीब आने का मौका मिला। ईशान धोनी की तरह इंटरनेशनल क्रिकेट में खुद को स्थापित करना चाहता है।

सवाल: बिहार एसोसिएशन बैन था। ऐसे में झारखंड से खेलने में ईशान को और बतौर पेरेंट आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

ईशान के पिता: पहले मैं ही उसे मैच और ट्रायल के लिए झारखंड ले जाता था। फिर वह सेल हॉस्टल में रहने लगा। वहां कई सीनियर्स प्लेयर्स भी रहते थे। वहां उसने बहुत तकलीफें उठाईं, जिनके बारे में हमें बाद में पता चला।

ईशान को खाना बनाना नहीं आता था। ऐसे में कई बार उसे बर्तन धोने पड़े थे। जब सीनियर्स बाहर चले जाते थे, वह कुरकुरे और कोलड्रिंक्स लेकर ही सो जाता था। फोन पर यही कहता था कि सब ठीक है। जब हम खाने का पूछते तो कहता कि एक भैया खाना बनाकर गए। मैंने दूध रोटी खा लिया है।

बाद में उसके सीनियर ने हमें फोन करके उसकी परेशानी के बारे में बताया। उसके बाद ईशान मां रांची में ही रहने लगी|

सवाल: ईशान ओपनिंग करते हैं और टीम में शुभमन गिल, रोहित शर्मा मौजूद हैं। भरत कीपर हैं। क्या लगता है उन्हें डेब्यू का मौका मिलेगा?

ईशान के पिता: यह टीम मैनेजमेंट और कॉम्बिनेशन पर निर्भर करता है कि किसे मौका देना है और किसे नहीं देना है। हमारे लिए तो खुशी की बात है कि उसे WTC फाइनल के लिए भारतीय टीम में चुना गया।