मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि साँची विश्वविद्यालय की स्थापना प्रदेश के लिए सौभाग्य का विषय है। यहाँ भारतीय ज्ञान और बौद्ध दर्शन के अध्ययन के अवसर सृजित होंगे। पूर्व के मानववाद का मूल चिंतन है कि एक ही चेतना समस्त जड़ और चेतन में विद्वान हैं, सारी धरती एक ही परिवार है। हमारे यहाँ जिओ और जीने दो और “धर्म की जय हो-अर्धम का नाश हो-प्राणियों में सद्भाव हो और विश्व का कल्याण हो” का विचार सर्वत्र व्याप्त है। भारतीय संस्कृति में पशु-पक्षियों, नदियों, वृक्षों और पहाड़ों को भी पूजा गया है। दशावतार की अवधारणा में यह स्पष्टत: परिलक्षित होता है। भारतीय परंपरा में सारी धरती को एक परिवार माना गया है।

सभी जीवों के साथ दया और सम्मान तथा आंतरिक शांति और निर्विकार भाव विकसित करना आवश्यक

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि धर्म और धम्म का पहला सिद्धांत है सभी जीवों के साथ दया और सम्मान का व्यवहार हो, दूसरे सिद्धांत में ज्ञान और बोध पर बल दिया गया है, तीसरे सिद्धांत में आंतरिक शांति और निर्विकार भाव विकसित करने की आवश्यकता निरूपित की गई है। यह विद्वानों की सभा है, सम्मेलन में अलग-अलग विषयों पर गंभीर चिंतन होगा। चिंतन से जो निष्कर्ष निकलेंगे वह विश्व को शाश्वत शांति के पथ पर अग्रसर करने में सहायक सिद्ध होंगे। गौतम बुद्ध ने युद्ध नहीं शांति, घृणा नहीं प्रेम, संघर्ष नहीं समन्वय, शत्रुता नहीं मित्रता को जीवन में आवश्यक माना है। यही वह मार्ग है जो भौतिकता की अग्नि में दग्ध मानवता को शाश्वत शांति के पथ का दिग्दर्शन करायेगा। अत: निश्चित ही धम्म-धर्म सम्मेलन विश्व के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

भारत भूमि, प्रकाश, ज्ञान और सीखने की भूमि है

राम-जन्म-भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज ने कहा कि भारत भूमि, प्रकाश, ज्ञान और सीखने की भूमि है। हम किसी पर आक्रांता नहीं हुए, हमने सभी विचारों और विश्वासों का स्वागत किया है। धम्म और धर्म भविष्य के विश्व की आशा के केन्द्र हैं। यहाँ से निकला प्रकाश मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगा। प्रारंभ में साँची विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता ने सम्मेलन के उद्देश्य और आगामी कार्यक्रमों के संबंध में जानकारी दी।

राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू ने राज्यपाल श्री मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में सम्मेलन का उद्घाटन किया। पुलिस बैंड द्वारा राष्ट्र-गान की धुन का वादन किया गया। साँची विश्वविद्यालय के गीत की विजुअल प्रस्तुति भी हुई। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु को मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अंगवस्त्रम्, प्रतीक-चिन्ह शंकराचार्य जी का चित्र और एकात्म धाम पर केन्द्रित पुस्तक भेंट की। राज्यपाल श्री पटेल को आर्गेनाइजिंग कमेटी के को-चेयर प्रो. एस.आर. भट्ट ने प्रतीक-चिन्ह तथा अंगवस्त्रम् भेंट किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान को साँची बौद्ध विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता द्वारा प्रतीक-चिन्ह भेंट किया गया।

राष्ट्रपति ने किया “द पेनारोमा ऑफ इण्डियन फिलॉस्फर्स एण्ड थिंकर्स” पुस्तक का विमोचन

राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने प्रो. एस.आर.भट्ट द्वारा लिखित पुस्तक “द पेनारोमा ऑफ इण्डियन फिलॉस्फर्स एण्ड थिंकर्स” का विमोचन किया। कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में “नए युग में मानववाद का सिद्धांत” विषय पर हुए सम्मेलन में 5 देशों के मंत्री, 15 देशों के विद्वान, चिंतक और शोधार्थी सम्मिलित हो रहे हैं। धर्म-धम्म के वैश्विक विचारों को एक मंच प्रदान करने वाला यह सम्मेलन 5 मार्च तक चलेगा।

उद्घाटन-सत्र में शामिल हुए भूटान और श्रीलंका के मंत्री तथा इंडोनेशिया के उप राज्यपाल

कार्यक्रम में प्रदेश की संस्कृति मंत्री सुश्री ऊषा ठाकुर, भूटान के गृह और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री श्री उगेन दोरजी, श्रीलंका के संस्कृति औऱ धार्मिक मामलों के मंत्री श्री विदुर विक्रमनायके, श्रीलंका के प्रो. राहुल अनुनायक थेरा, इंडोनेशिया के उप राज्यपाल प्रो. डॉ. आईआर तोजोकोर्डो ओका अर्थ अरदाना सुकवती उपस्थित थे। पाँच मार्च तक चलने वाले 7वें अंतर्राष्ट्रीय धर्म -धम्म सम्मेलन में विभिन्न देशों में सांस्कृतिक सामंजस्य और अन्य विषयों पर चर्चा के लिए भारत सहित इंडोनेशिया, श्रीलंका, नेपाल और भूटान के संस्कृति मंत्री भाग ले रहे हैं। सम्मेलन में ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, स्पेन, मॉरीशस, दक्षिण कोरिया, नेपाल, वियतनाम, थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका, मंगोलिया और भूटान के विद्वान और शोधार्थी भी सहभागिता कर रहे हैं।