आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/ आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल:  सड़क सुरक्षा के प्रयासों में हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति की जान बचाना है। ये बात हितधरकों के विमर्श ‘सड़क सुरक्षा: ज़िंदगी बचाने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता’ में कही गई। कंज़्यूमर वॉइस, नई दिल्ली और नेशनल सेंटर फ़ॉर ह्यूमन सेटलेमेंट्स एंड एनवायरनमेंट (एन सी एच एस ई) के संयुक्त तत्त्वावधान में एप्को सेमिनार हॉल में आयोजित इस विमर्श में क़रीब 50 प्रतिभागियों ने शिरक़त की जिनमें स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि, शिक्षक, युवा, छात्र और वरिष्ठ नागरिक शामिल थे।

परिवहन विभाग के नोडल अधिकारी प्रमोद कापसे ने बताया कि सरकार के प्रयासों से सड़क सुरक्षा को बेहतर बनाने के तमाम प्रावधान किए गए हैं जैसे किसी गम्भीर दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति को गोल्डन ऑवर (एक घण्टे के भीतर) में उचित चिकित्सा मुहैया कराने वाले व्यक्ति को 5000 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा की जवाबदारी सिर्फ़ सरकार की नहीं है इसके लिए समाज के सभी वर्गों की बराबर की ज़िम्मेदारी है।

मध्यप्रदेश का सड़क दुर्घटना में भारत में दूसरा स्थान है वहीं दुर्घटना से होने वाली मौतों में चौथा। सबसे ज़्यादा हादसे तेज़ गति से वाहन चलाने में होते हैं। इसके अलावा सीट बेल्ट अथवा हेलमेट का प्रयोग न करना, मोबाइल का उयोग और ट्रैफ़िक नियमों की अवहेलना भी मुख्य कारण हैं।

कंज़्यूमर वॉइस के लीगल प्रोजेक्ट एडवाइज़र अमरजीत सिंह पंघाल ने संशोधित मोटर यान अधिनियम 2019 की विस्तार से व्याख्या करते हुए समझाया कि कैसे ये सड़क उयोगकर्ताओं के लिये हितकारी होगा। उन्होंने कहा कि एक्सीडेंट की जगह अब ‘रोड क्रैश’ शब्द का उपयोग किया जारहा है। उन्होंने बताया कि सड़क हादसों में मरने वाले क़रीब 70 फ़ीसदी 18 से 45 आयु वर्ग के होते हैं और 45 फ़ीसदी मृत्यु दुपहिया चालकों की होती है।

मैनिट के असिस्टेन्ट प्रोफ़ेसर डॉ राहुल तिवारी ने अपने शोध पर आधारित निष्कर्ष में बताया कि बहुत से चालकों को तेज़ गति से वाहन चलाने की आदत सी होती है और ये उनके व्यवहार का हिस्सा बन चुका होता है। यात्रा के दौरान ही यदि तेज़ गति पर आर्थिक दंड की सूचना मिल जाती है तो गति 10 प्रतिशत तक कम होजाती है। उन्होंने बताया कि इंटेलीजेंट ट्रेफ़िक मैनेजमेंट सिस्टम द्वारा अब सभी वाहन पुलिस की नज़र से बच नहीं सकते और लापरवाही पर गंभीर परिणाम भुगतना होंगे।

आमजन की तरफ़ से बोलते हुए फ़िल्मकार सुनिल शुक्ल ने कहा कि पुलिस एक बार मे सिर्फ़ एक ही गड़बड़ी पकड़ती है जैसे हेलमेट या सीट बेल्ट या गति जबकि हर लापरवाही पर तुरंत कार्यवाही की जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लाल सिग्नल का जितना सम्मान कर सकेंगे उतना ही कम लाल रंग सड़क पर बहेगा।

आयोजक संस्था एन.सी.एच.एस.ई. के महानिदेशक डॉ प्रदीप नन्दी ने कार्यशाला के उद्देश्यों की जानकारी देते हुए कोविड में और सड़क हादसों में हुई मृत्यु की तुलना करते हुए बताया कि सड़क हादसों में अचानक मरने वाले किसी भी बीमारी या महामारी से मरने वालों से कहीं ज़्यादा होते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे प्रयासों का मुख्य उद्देश्य है कि लोग सड़क सुरक्षा की ज़रूरत और गंभीरता को समझें और इसमे ज़्यादा से ज़्यादा भागीदार बनें।

वर्कशॉप को राधुराज सिंह एवं रिंकी शर्मा ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन अविनाश श्रीवास्तव ने किया।