आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : वर्ल्ड आर्चरी चैंपियनशिप में गोल्ड हासिल करने वाले देश के पहले पुरुष आर्चर ओजस प्रवीण देतवाले का कहना है- ‘मैं पेरिस ओलिंपिक के लिए अपना इवेंट नहीं बदलूंगा, बल्कि 2028 ओलिंपिक तक अपनी तैयारियों को मजबूत करूंगा।’

वे कहते हैं- फिलहाल मेरा फोकस अगले महीने होंगझोऊ में होने जा रहे एशियन गेम्स पर है।

17 साल के इस तीरंदाज ने बीते दिनों जर्मनी की राजधानी बर्लिन में आयोजित वर्ल्ड आर्चरी चैंपियनशिप के मेंस कंपाउंड इवेंट में गोल्ड जीता है। खास बात यह कि ओजस ने सभी तीर निशाने पर मारे और परफेक्ट-10 हासिल किया। उन्होंने 150 अंक के फाइनल में 150 अंक अर्जित किए। ओजस ने पोलैंड के लुकाज प्रिजीबिल्स्की को एक अंक से हराया।

भारत को कंपाउंड मेंस कैटेगरी का पहला गोल्ड दिलाने के बाद ओजस ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की, जो आप आगे पढ़ेंगे…

शुरुआत ओजस के संघर्ष से…

लॉकडाउन में सब बंद था, फिर भी प्रैक्टिस जारी रखी

ओजस ने तीरंदाजी की शुरुआत स्कूल के दिनों से ही कर दी थी। वे नेशनल-इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं की तैयारी में लगे थे कि कोरोना महामारी आ गई और सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया। सब बंद था, ऐसे में ओजस ने गांव जाकर एक स्कूल में सेटअप लगाकर अपनी प्रैक्टिस जारी रखी। वे अकेले रहते थे और खुद खाना बनाते थे।

लॉकडाउन के बीच ओजस की प्रैक्टिस देखकर गांव वाले उन्हें मूर्ख कहने लगे, लेकिन बाद में उनकी मेहनत रंग लाई और ओजस वर्ल्ड आर्चरी चैंपियनशिप में भारत को गोल्ड दिलाने वाले पहले पुरुष तीरंदाज बने।

भास्कर के सवालों पर ओजस के जवाब…

सवाल- पहले आप स्केटिंग करते थे, आर्चरी में कैसे आए?

जवाब- जब मैंने स्केटिंग छोड़ा था, तो हमारे स्कूल में आर्चरी का खेल शुरू हुआ था। यह खेल मुझे पसंद आया, तब से मैं आर्चरी ही कर रहा हूं।

सवाल- आपने फाइनल में पूरे अंक लिए। फाइनल को लेकर कितना दबाव था?

जवाब- फाइनल को लेकर दबाव था। मेरी हार्ट बीट बढ़ गई थी। मैं बस यही सोच रहा था कि जो भी होगा देखा जाएगा। दिमाग में था कि हार भी रहा हूंगा, तो भी आसानी से अपने अपोनेंट को जीतने नहीं देना है।