कार्यसमिति की बैठक में विकास यात्रा और चुनावी प्लान पर चर्चा हुई. बैठक में उन विधानसभा के प्रभारियों को बुलाया गया, जिनके प्रभार वाली विधानसभा साल 2018 के चुनाव में हार गई थी.
मध्य प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को लेकर दोनों ही प्रमुख दल बीजेपी और कांग्रेस अलर्ट मोड पर है. दोनों ही पार्टी विधानसभा चुनावों को मिशन 2023 के रूप में देख रही है. हालांकि, संगठन और एकता के मामले में सत्ताधारी दल बीजेपी यहां कांग्रेस से एक कदम आगे हैं. एक ही जाजम पर सारे बीजेपी एकत्रित हैं. इसका उदाहरण एक दिन पहले मंगलवार को राजधनी भोपाल में आयोजित बीजेपी के प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में देखने को मिला. इस बैठक में बीजेपी के आला नेता मौजूद रहे. जबकि चुनाव के आठ महीने पहले भी यहां कांग्रेस कुछ बिखरी-बिखरी नजर सी आ रही है. कांग्रेस की ओर से पीसीसी चीफ कमलनाथ ही फील्ड में नजर आ रहे हैं.
बता दें कि मध्य प्रदेश के विधानसभा को देखते हुए बीजेपी की दो दिवसीय बैठक राजधानी भोपाल में आयोजित की जा रही है. एक दिन पहले 24 जनवरी को जहां बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक आयोजित की गई, तो वहीं आज 25 जनवरी को बीजेपी की कोर ग्रुप की बैठक होगी. दो दिवसीय बैठक में बीजेपी के पदाधिकारी चुनावी मंथन कर रहे हैं. कार्यसमिति की बैठक में विकास यात्रा और चुनावी प्लान पर चर्चा हुई है. इस बैठक में उन विधानसभा के प्रभारियों को बुलाया गया, जिनके प्रभार वाली विधानसभा साल 2018 के चुनाव में हार गई थी. ऐसी 103 विधानसभा के प्रभारियों को इस बैठक में बुलाया गया.
बीजेपी के बड़े नेताओं ने किया मंथन
भोपाल में आयोजित दो दिवसीय बैठक के पहले ही दिन बीजेपी ने यह साबित कर दिया कि भारतीय जनता पार्टी में संगठन ही प्रमुख है. आने वाला विधानसभा चुनाव सभी भाजपाई एकजुट होकर लड़ेंगे. इसका प्रमाण भी बीजेपी की आयोजित बैठक में मंगलवार को देखने को मिला. इस बैठक में बीजेपी के तमाम बड़े नेता शामिल हुए. बैठक प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, सीएम शिवराज सिंह चौहान, कैलाश विजयवर्गीय, संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरेन्द्र खटी, प्रहलाद पटेल व फग्गन सिंह कुलस्ते, उमा भारती, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित अनेक बड़े नेता मौजूद रहे.
कांग्रेस कमलनाथ के भरोसे
विधानसभा चुनाव में महज आठ महीने का समय ही रह गया है. इसके बावजूद मध्य प्रदेश में कांग्रेस अब भी कुछ बिखरी-बिखरी से नजर आ रही है. कांग्रेस की ओर से मैदान में महज पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ही नजर आ रहे हैं, जबकि कभी कभार नेताप्रतिपक्ष कांग्रेसियों के पक्ष व विपक्ष पर जुबानी हमले करते दिखाई देते हैं. ऐसे आगामी चुनाव बड़ा ही दिलचस्प होगा कि संगठित बीजेपी को विपक्षी दल कांग्रेस कैसे चुनौती देगा.