आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : स्कोप ग्लोबल स्किल्स विश्वविद्यालय के सभागार में वरिष्ठ कथाकार एवं वनमाली सृजन पीठ, भोपाल के अध्यक्ष मुकेश वर्मा की अध्यक्षता और वरिष्ठ कवि–कथाकार वनमाली सृजन पीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष चौबे के आत्मीय सान्निध्य में व्यंग्य पाठ का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर संतोष चौबे ने कहा कि वनमाली सृजन पीठ और आईसेक्ट पब्लिकेशन द्वारा वरिष्ठ व्यंग्यकारों के सहयोग से भारत के सौ वर्षों के व्यंग्य इतिहास और व्यंग्यकारों की रचनाओं को प्रकाशित किया जाएगा। इसमें व्यंग्य की आलोचनात्मक टिप्पणियों को भी प्रमुखता से प्रकाशित किया जाएगा।
मुकेश वर्मा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि भारत में व्यंग्य का वैभव बसता है। इस मंच पर भी व्यंग्य का वैभव विराजमान है। हमारे यहाँ व्यंग्यकारों को उचित मंच और स्थान मिलना चाहिए। व्यंग्य की रचनात्मक आलोचना के लिए व्यंग्य आलोचकों को तैयार करने का कार्य भी करने की बेहद जरूरत है।
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध शांतिलाल जैन (उज्जैन) ने ‘डिजाइनर टोटियों के समय में’ व्यंग्य में कहा कि इस देश में पीने का पानी उन्हीं को मयस्सर है जो निचे वालों को पैर से दबाएँ रखने में माहिर है। उन्होंने ‘माय डेडी स्पेशल’ में सामाजिक विडंबनाओं को भी उजागर किया।
वरिष्ठ व्यंग्यकार कैलाश मंडलेकर (खंडवा) ने आज के राजनैतिक परिस्थितियों को उघाड़ते हुए व्यंग्य रचना का पाठ किया। चर्चित व्यंग्यकार मलय जैन ने अपनी व्यंग्य रचना ‘भैंसों का सिस्टम और सिस्टम की भैंस” के माध्यम से योजनाओं को बनाने और लागू करने के सिस्टम को बखूबी उजागर किया। वरिष्ठ रचनाकार साधना बलवटे ने अपने व्यंग्य ‘मैं और मेरी हिंदी’ के माध्यम से हिंदी की स्थिति को बयां किया।
वरिष्ठ साहित्यकार गोकुल सोनी ने अपने व्यंग्यकार ने अपने व्यंग्य ‘टाटा, बाटा और डाटा’ में राजनैतिक परिवेश को रेखांकित किया। वरिष्ठ साहित्यकार घनश्याम मैथिल ‘अमृत’ ने क्षणिकाएं प्रस्तुत की।
वर्तमान रचनाकार कुमार सुरेश ने अपने व्यंग्य ‘तशरीफ़ रखने की तकलीफ़’ के जरिए लालफीताशाही की कुटिलताओं को बहुत ही शिद्दत से प्रस्तुत किया।