मंच पर झूमें हजारों बच्चे; पल्लवी चतुर्वेदी ने किया फिर मिलेंगे का वादा

आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल। आज कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंट में बाल साहित्य एंव कला महोत्सव का भव्य समापन हुआ। इसके समापन समारोह में गेट सेट पेरेंट पल्लवी चिल्ड्रंस लिटरेंचर, आर्ट एंड म्यूजिक फेस्टिवल की फाउंडर और डायरेक्टर डॉक्टर पल्लवी राव चतुर्वेदी ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कि इस तरह के कार्यक्रमों को करने में बहुत सारे लोगों की मदद की आवश्यकता होती है। आप सभी साथियों ने कार्यक्रम को भव्य बना दिया। शहर से आए सैकड़ों विद्यालयों से आए हजारों छात्रों और उनके पालकों, कलाकारों, स्वयंसेवकों को कार्यक्रम में आने के लिए धन्यवाद। कार्यक्रम में अपने बच्चों को पहुंचाने के लिए उन्होंने विद्यालयों एवं परिजनों से कहा कि आप बच्चों की शक्ति हैं, आप अपने बच्चों को आगे बढ़ाने सहयोग करते रहें। इस दौरान कार्यक्रम में आये सभी कलाकारों का सम्मान किया गया। इसके साथ ही डॉक्टर चतुर्वेदी ने कार्यक्रम को सफल बनाने वाले सभी लोगों को हृदय की गहराई से धन्यवाद दिया और फिर मिलेंगे का वादा भी किया। गेट सेट पेरेंट के सत्र तीसरे और आखिरी दिन की शुरुआत बच्चों ने जंगल-जंगल बात चली है सहित अनेक गाने गाए। बच्चों ने बताया कि उनका यह सन्डे आज फन-डे बन गया। पहली कार्यशाला में लेखक रिद्धि मनियर डोडा ने कहानियों और स्लाइड्स के माध्यम से लड़के एवं लड़कियों के पहनावे, रहन-सहन के तरीकों पर बात की। इसके बाद उन्होंने बच्चों को कई स्थानों पर समाज की दृष्टि से अलग होकर अपनी पसंद से जीवन जीने की बात बताई। उन्होंने बच्चों को रोचक खेल और डांडिया खिलाए, इस दौरान बच्चे मंच पर झूम उठे। उनके साथ की गतिविधियों का विभिन्न विद्यालयों से आये विद्यार्थियों ने भरपूर आनंद उठाया।

भगवान ने जैसा हमें बनाया उस पर गर्व करें
दूसरी कार्यशाला में लेखिका सौम्या राजेंद्रन ने बच्चों को दक्षिण भारत की जानकारी देते हुए अपनी बात प्रारम्भ की। उन्होंने बच्चों को कहानियां और गाने गाते सुनाते हुए उनसे बातचीत की। उन्होंने कहा कि काले, गोर, नाटे-लंबे के चक्कर में न पड़ें। भगवान ने जैसा हमें बनाया है उसी पर गर्व करना सीखें।

गेट सेट पैरेंट में बच्चों ने बनाया चीन का प्रचिलित आर्ट
कागजी इंडिया के तरफ से राकेश धनक और जनक गोदारा ने जापान का मशहूर आर्ट ऑरिगामी का सेशन कंडक्ट किया। मेंटर ने पीबीएम स्कूल के 45 बच्चों को कागज से टोपी और तितली बनाना सिखाया , बच्चों में ऑर्ट को सीखने की ललक देखने लायक थी। मेंटर ने बताया कि ये आर्ट जापान और चीन में काफी प्रचलित है। ये धैर्य और एकाग्रता बढ़ाने में काफी मददगार है।

बच्चों ने एंजॉय किया डूडल
कडमाड डिजाइन्स की कविता डिचोलकर ने बच्चों के लिए डूडलिंग सेशन कंडक्ट किया। सेशन में संस्कार भारती विद्यापीठ के बच्चों ने हिस्सा लिया। मेंटर कविता डिचोलकर ने बताया कि किसी भी चीज की रफ ड्ऱॉइंग को डूडलिंग कहते हैं । उन्होनें डूडलिंग के बेसिक्स और रोचक आर्ट पैटर्न बच्चों को सिखाया।

गेस्ट लाउंज में जेनेशा जैन ने डूडलिंग सेशन कंडक्ट किया। सेशन में करीब सैकड़ों बच्चों ने हिस्सा लिया, बच्चों ने डूडलिंग के मदद से डिब्बे के अंदर अलग अलग आकार बनाना सीखा साथ ही इमोजी और रंगों का प्रयोग करके उसे एक नया परिप्रेक्ष्य दिया । मेंटर ने बताया कि डूडलिंग एक ऐसी कला है जिसमें लोग एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं, ये आपकी क्रिएटिविटी बूस्ट करता है ।

बच्चों ने सीखी जनजातीय आर्ट
‘गोंड आर्ट’ के विषय पर आयोजित वर्कशॉप में बच्चों को कोमल शर्मा और ऋषभ निगम ने बच्चों को इस कला की बारीकियां सिखाई। इस सेशन में कई स्कूल के सैकड़ों बच्चों ने हिस्सा लिया। इस सेशन में बच्चों ने इस कला से संबंधित पैटर्न बनाना और उसे पेंट करना सीखा। गोंड आर्ट के बारे बात करते हुए मेंटर ने बताया कि ये एक प्रकार की जनजातीय कला है जिसकी शुरूआत गोंड समाज के लोगों ने की थी । आर्टिस्ट इस कला की प्रेरणा प्रकृति से लेते है, मौजूदा समय में इस कला के साथ आर्टिस्ट एक्सपेरिमेंट भी करने लगे हैं।

बच्चों के मन को भाया टिडेलिक, उसके लिए नाचें सुनाए चुटकुले-
ड्रामेबाज कंपनी के सदस्यों ने टिगेलिक कछुये के माध्यम से पानी को बचाने का संदेश दिया। उनकी कहानी में जब टिडेलिक कछुए को जब प्यास लगी तो उसने नदी, तालाब और समुद्र का सारा पानी पी लिया। इसके बाद उन्होंने बच्चों से पूछा कि पानी वापिस कैसे लाएं तो बच्चों ने उसे हंसाकर उसके पेट से पानी निकालने का सुझाव दिए। जिसके बाद बच्चों ने जोकर के साथ मिलकर टिडेलिक को हंसाने के लिए “फनी डांस” किया, फनी फेस रिएक्शन दिए और उसे चुट्कुले सुनाए। उन्हें देखकर टिडेलिक हंसा और उसके मुंह से पूरा पानी वापिस आ गया। इस पूरी कार्यशाला में बच्चों हँसते रहे, उन्हें टिडेलिक बेहद ही पसंद आया।

कठपुतलियों के साथ मस्ती देखकर लोटपोट हुए बच्चे-
देश के जाने माने वेंट्रिलोक्विस्ट, कठपुतली और कठपुतली निर्माता सत्यजीत रामदास पाध्ये ने बच्चों का खूब मनोरंजन कराया। उन्होंने कुत्ते, चिड़िया, मिस्टर जॉली, मिस्टर वर्म आदि कठपुतलियों से मजेदार बातचीत करते हुए बच्चों को खूब हंसाया। बच्चे उनकी मस्ती देखकर खूब लोटपोट हुए। उन्होंने समझाया कि लोग बिना होठों को हिलाए विभिन्न प्रकार की आवाजें निकाल सकते हैं। उन्होंने बोलती कठपुतली के बुनियादी चरणों पर के बारे में बच्चों को बताया।

बच्चों ने बनाई समुद्री लहरें
ब्लॉक प्रिंट का सेशन लिया विनोद मलयवर ने । मेंटर ने बच्चों को ब्लॉक प्रिंटिंग के बारे बताया, उसके बाद बारी बारी से बच्चों को बुलाकर कपड़े और टी-शर्ट के ऊपर ब्लॉक की मदद से छाप बनवाएं। राधिका फतेहपुरीया ने रेजिन आर्ट का सेशन कंडक्ट किया । सेशन में किट के मदद से बच्चों ने और उनके पेरेंट्स ने समुद्री लहरें (वेव्स) बनाईं । बच्चों ने मेंटर से पहले कलर मिक्स करना और बनाना सीखा, फिर लकड़ी के बॉक्स के अंदर बारी बारी से सफेद और नीला रंग डाल कर समुद्री लहरें बनाईं ।