आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : ‘एक दिन मेरे पास इंस्टाग्राम के DM में मैसेज आया। उस मैसेज में लिखा था- मैं इंद्र कुमार, तुम्हारा सौतेला भाई, हमारे पापा का निधन हो गया है। ये पढ़कर मैं सन्न हो गई, थोड़े देर कुछ समझ ही नहीं आया। मैंने सोचा कि मां को ये सब बताऊं, लेकिन दीदी को पहले इस मैसेज का स्क्रीनशॉट भेज दिया। ये देखकर दीदी ने कहा कि वो हमारे लिए पहले ही मर चुके हैं। तू इन सब बातों पर ध्यान ना दे, बस अपने करियर पर फोकस कर। दीदी प्रैक्टिकल है, तो उसे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, लेकिन मैं बहुत ज्यादा इमोशनल हूं। कई दिनों तक ये बात मेरे मन में चलती रही।’

ये बात पूजा चोपड़ा ने कही है, जो फेमिना मिस इंडिया वर्ल्ड (2009) की विनर रहीं। इसके अलावा उन्होंने कमांडो, अय्यारी और जहां चार यार जैसी फिल्मों में काम किया है। उन्होंने 2011 में रिलीज हुई तमिल फिल्म पोन्नार शंकर से एक्टिंग डेब्यू किया था।

पूजा चोपड़ा ने बतौर मॉडल अपना करियर शुरू किया, फिर फिल्मों में आईं, लेकिन वो कभी भी इन दोनों फील्ड में अपना करियर नहीं बनाना चाहती थीं। उनका सपना IPS ऑफिसर बनने का था, लेकिन किस्मत के सहारे उन्होंने इस सफर की शुरुआत की। ये सफर भी कई संघर्षों से भरा रहा। पैदा होते ही पिता इन्हें मारना चाहते थे, लेकिन मां नीरा चोपड़ा और उनकी बहन शुभ्रा ने पूजा की परवरिश कर उन्हें इस लायक बनाया।

पूजा से उनके संघर्ष की कहानी जानने से पहले हमने उनकी मां नीरा चोपड़ा से बात की और ये जाना कि कैसे पूजा के पैदा होते ही पिता उन्हें मारना चाहते थे…

ससुराल वाले हमेशा लड़का चाहते थे

मां नीरा चोपड़ा ने बताया- ग्रेजुएशन के बाद ही मेरी शादी हो गई। घरवालों को ससुराल वाले ठीक लगे, जिस वजह से जल्द ही शादी कर दी गई। शादी के बाद सब कुछ ठीक चल रहा था। कुछ समय बाद मैंने बड़ी बेटी शुभ्रा को जन्म दिया। इसके जन्म से घरवाले बहुत खुश नहीं थे, उन लोगों को हमेशा से लड़के की चाहत थी।

हालांकि उम्मीद थी कि अगला बच्चा लड़का होगा। इस उम्मीद में मैं सासू मां की बहुत सेवा करती थी। उनका हर एक काम करती थी कि खुश होकर वो आशीर्वाद देती रहेंगी, जिससे मुझे बेटा हो जाएगा।

पूजा के जन्म के बाद कोई हॉस्पिटल देखने तक नहीं आया

जब मैंने कुछ सालों बाद पूजा को जन्म दिया, तो 3 दिन तक कोई हॉस्पिटल में मुझे देखने नहीं आया। नर्स रोज आकर मुझे कहती थी कि गर्मी इतनी ज्यादा है, घर से किसी से कपड़े मंगा लो। जब ऐसे ही 3 दिन बीत गए, तब मैंने नर्स को घर का नंबर दिया और कहा कि वो कॉल करके घर पर कपड़े की सूचना दे दें। कुछ देर बाद जब वो वापस आई, तो मुझसे नजरें चुरा रही थी। मैं समझ गई। बगल की एक महिला ने मुझे पूजा के लिए 1-2 कपड़े दे दिए।