नई दिल्ली। दूरसंचार सेवा प्रदाता एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने दूरसंचार उद्योग को बचाने के लिए शुल्क बढ़ाने और करों में कटौती की जोरदार वकालत की। मित्तल ने कहा जहां उद्योग का 35 प्रतिशत राजस्व, कर और शुल्कों में सरकार को चला जाता है, वहीं दूरसंचार क्षेत्र समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया और स्पेक्ट्रम भुगतान के असाधारण कर्ज के बोझ से लदा हुआ है।
सुनील मित्तल ने कहा एयरटेल की 21,000 करोड़ रुपए का कोष जुटाने की योजना से कंपनी को काम करने के सामान्य तरीके से हटकर 5जी सेवाओं, फाइबर और डेटा सेंटर कारोबार के लिए निवेश में तेजी लाकर आगे बढ़ने और बड़े अवसरों का लाभ उठाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारत में अगले साल की दूसरी छमाही में 5जी सेवाएं शुरू हो जाएंगी। मित्तल ने कहा कि एयरटेल के लिए तेजी से आगे बढ़ने का, अपनी व्यवस्था में और पूंजी डालने का और बाजार से लाभ उठाने का इससे अच्छा समय नहीं होगा क्योंकि भारत तेजी से विकास कर रहा है और ज्यादा डिजिटल सेवाओं को अपना रहा है।
उन्होंने कहा कि वित्त जुटाने का अभ्यास अगले साल के लिए टालना, कंपनी के भविष्य के लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि इस समय वृद्धि के बड़े अवसर चारों तरफ से कंपनी की ओर देख रहे हैं। मित्तल ने कहा हम बहुत बड़ी गलती करेंगे अगर हम इस समय सामान्य रूप से काम करते रहे। उन्होंने कहा कि एयरटेल पर ऋण का असाधारण बोझ है। मित्तल ने कहा एजीआर के बोझ, स्पेक्ट्रम भुगतान के बोझ ने कंपनी पर कर्ज का एक असाधारण भार पैदा कर दिया है। उन्होंने कहा कि कंपनी ऋण का लाभ उठाने में सुधार करना चाहती है और जरूरत पड़ने पर वृद्धि के लिए पूंजी तक पहुंच बनाना चाहती है।
परिसंपत्तियों के मौद्रिकरण और बेहतर वित्तीय स्थिति का मेल एयरटेल को आने वाले दो-तीन वर्ष में अपने ऋण के लिहाज से सहज स्थिति में लाएगा। पट्टों से जुड़े ऋण सहित कंपनी का एकीकृत शुद्ध ऋण, 30 जून, 2021 तक 1,59,622 करोड़ रुपये था। उन्होंने कहा लोग प्रति उपयोगकर्ता प्रति माह औसतन 16 जीबी डेटा की खपत कर रहे हैं।
उद्योग को व्यवहार्य बनाने के लिए शुल्कों को बढ़ाने का समय आ गया है और ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि अधिक प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में वृद्धि के लिए, पूंजी पर अच्छा और उचित रिटर्न मिलना जरूरी है ताकि और नेटवर्क शुरू किए जा सकें और भविष्य में स्थिरता का अधिक व्यवहार्य मॉडल बने। मित्तल ने इस बात पर जोर दिया कि उद्योग को सही आर्थिक मॉडल की आवश्यकता है, और कहा कि यह अफसोस की बात है कि बहुत लंबे समय तक, हमने इस उद्योग को बहुत कम मूल्य निर्धारण स्तर पर बढ़ाकर प्रतिस्पर्धा की है।
उन्होंने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र पर लगाए जाने वाले कर काफी ज्यादा हैं और भारत को अगर अपने डिजिटल सपने को साकार करना है तो उद्योग पर कर और बोझ को कम करना होगा। मित्तल ने स्पष्ट किया कि एयरटेल शुल्क बढ़ाने से नहीं कतराएगी। उन्होंने तर्क दिया कि पिछले कुछ महीनों में एयरटेल द्वारा शुल्क में किया गया बदलाव इस बात की गवाही देता है कि कंपनी का धैर्य सच में खत्म हो गया है।