सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क इंडियाइंटीग्रेटेड ट्रेड…. न्यूज़ भोपाल: देश में आज 1 जुलाई से तीन महत्वपूर्ण नए कानून लागू हो गए हैं, जिनसे न्यायिक प्रक्रिया में तेजी और पारदर्शिता आएगी। इन कानूनों के नाम भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) हैं। नए प्रावधानों के तहत अब हर कानूनी कार्रवाई के लिए समय-सीमा तय की गई है, जिससे “तारीख पर तारीख” की समस्या से निजात मिल सकेगी और समय पर न्याय मिल सकेगा।

जीरो एफआईआर से कहीं भी शिकायत दर्ज

नए कानूनों में सबसे बड़ा बदलाव जीरो एफआईआर का प्रावधान है। अब कोई भी नागरिक किसी भी थाने में जीरो एफआईआर दर्ज करा सकता है, जिसे 15 दिन के भीतर संबंधित थाने में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इससे घटनास्थल वाले थाने में शिकायत दर्ज करने की अनिवार्यता समाप्त हो गई है।

ई-एफआईआर और डिजिटल साक्ष्य पर जोर

नए प्रावधानों में ई-एफआईआर का प्रावधान भी शामिल है, जिससे गंभीर अपराधों में भी ई-एफआईआर दर्ज हो सकेगी। इसके अलावा, डिजिटल साक्ष्य जैसे ईमेल और मोबाइल मैसेज को कानूनी मान्यता दी गई है, जिससे न्याय प्रक्रिया में तेजी आएगी।

समय-सीमा और पारदर्शिता से बढ़ेगी न्याय की गति

कोर्ट को अब पहली सुनवाई की तारीख से 60 दिन के भीतर आरोप तय करना होगा, और अंतिम सुनवाई के बाद अधिकतम 45 दिन में फैसला सुनाना अनिवार्य किया गया है। पुलिस को भी जांच और चार्जशीट दाखिल करने के लिए समय-सीमा निर्धारित कर दी गई है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आएगी।

न्यायिक प्रक्रिया में डिजिटल क्रांति

इन नए कानूनों के तहत पूरी न्यायिक प्रक्रिया को डिजिटल माध्यम से जोड़ा गया है। ई-रिकॉर्ड, ई-एफआईआर, और डिजिटल चार्जशीट के साथ-साथ गवाह और पीड़ित भी वर्चुअली कोर्ट में पेश हो सकेंगे। इससे प्रक्रिया में पारदर्शिता और समय की बचत होगी।

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फॉरेंसिक जांच और रिमांड अवधि में बदलाव

नए कानूनों के अनुसार, 7 साल से अधिक सजा वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य कर दी गई है। इसके अलावा, पुलिस रिमांड की अवधि भी बढ़ाई गई है, जिससे गंभीर मामलों में विस्तृत जांच की जा सकेगी।

इन नए प्रावधानों से न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता, गति और विश्वसनीयता बढ़ेगी, जिससे नागरिकों को समय पर न्याय मिल सकेगा। न्यायिक प्रणाली में इन सुधारों से उम्मीद की जा रही है कि अब “तारीख पर तारीख” की पुरानी समस्या से मुक्ति मिलेगी और देश में न्यायिक व्यवस्था अधिक प्रभावी होगी।

1 जुलाई से लागू भारतीय न्याय संहिता (BNS), नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), और साक्ष्य अधिनियम (BSA) न्यायिक प्रक्रिया में तेजी और पारदर्शिता लाएंगे, जिससे समय पर न्याय मिलेगा।

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