आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : ऑस्ट्रेलिया ने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) फाइनल में टीम इंडिया को 209 रन से हरा दिया है। भारतीय टीम पिछले दस साल में एक भी ICC ट्रॉफी नहीं जीत पाई है। आखिरी बार टीम इंडिया ने 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी में जीत दर्ज की थी। दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया ने इन 10 सालों में तीनों फॉर्मेट यानी टी-20 और वनडे वर्ल्ड कप के साथ वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप में जीत दर्ज की है।

भारत के ICC टूर्नामेंट में चैम्पियन नहीं बन पाने के पीछे कई सवाल खड़े होते हैं। उन्हीं में से एक सवाल ये भी है कि क्या भारतीय टीम को अब फिर से विदेशी कोच अपॉइंट कर लेना चाहिए। जिनके साथ भारत ने 5 में से 3 ICC ट्रॉफी जीती थीं। 2013 के बाद भारत ने अनिल कुंबले, रवि शास्त्री और अब राहुल द्रविड़ को भी कोच बनाया, लेकिन किसी ICC टूर्नामेंट में सफलता नहीं मिल सकी।

आगे स्टोरी में हम समझेंगे कि भारत ने कब से विदेशी हेड कोच अपॉइंट करना शुरू किया। उनके साथ टीम इंडिया ने कैसा परफॉर्म किया और ICC टूर्नामेंट्स में भारत की सिचुएशन कैसी रही। साथ ही जानेंगे कि 2013 के बाद से जिन देशों ने ICC ट्रॉफी उठाई, उनके हेड कोच किस देश के रहे।

शुरुआत टीम इंडिया के पहले हेड कोच से करते हैं…

29 साल तक हेड कोच भारतीय ही रहा

1971 में वनडे क्रिकेट की शुरुआत से ही भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम का हेड कोच भारतीय ही रहा। केकी तारापूर भारत के पहले कोच थे। 1975 का वनडे वर्ल्ड कप हमने गुलाबराय रामचंद की कोचिंग में खेला। 1979 में कोई हेड कोच नहीं था। दोनों ही बार श्रीनिवास वेंकटराघवन टीम इंडिया के कप्तान थे।

1983 में कपिल देव की कप्तानी में भारत ने वर्ल्ड कप जीता, तब पीआर मान सिंह हेड कोच थे। दोनों ही 1987 वर्ल्ड कप में भी टीम को लीड कर रहे थे। टीम इंडिया ने 1992 और 1996 का वर्ल्ड कप अजीत वाडेकर की कोचिंग में खेला, वहीं 1999 वर्ल्ड कप में कपिल देव को हेड कोच बनाया गया। हालांकि 1971 से 1999 तक हेड कोच का पद नहीं होता था, तब टीम मैनेजर का पद हुआ करता था, जो कोचिंग का काम भी संभालते थे। हेड कोच का पद 2000 से शुरू किया गया।

2000 में पहली बार विदेशी कोच लाए

2000 में पहली बार न्यूजीलैंड के जॉन राइट को हेड कोच बनाया गया, जो टीम इंडिया के पहले विदेशी कोच थे। उनकी कोचिंग में टीम 2000 चैंपियंस ट्रॉफी की रनर-अप रही और 2002 की चैंपियंस ट्रॉफी जीती। हालांकि तब भारत श्रीलंका के साथ संयुक्त विजेता रहा था। 2003 में टीम इंडिया ने 20 साल बाद वनडे वर्ल्ड कप फाइनल खेला और रनर-अप रहे। 2004 की चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में हम नहीं पहुंच सके।

राइट के बाद ऑस्ट्रेलिया के ग्रेग चैपल को कोच बनाया गया। उन्होंने टीम में बहुत बदलाव किए और टीम 2007 वनडे वर्ल्ड कप के ग्रुप स्टेज में ही बाहर हो गई। 2006 के दौरान भारत में हुई चैंपियंस ट्रॉफी भी हम जीत नहीं सके।