आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : क्या भारतीय टीम को फिर से विदेशी कोच की जरूरत है…?
यह सवाल भारतीय थिंक टैंक को एक बार फिर परेशान करने लगा है, क्योंकि भारत ने टी-20 इतिहास में पहली बार 5 मैचों की बाइलेटरल सीरीज गंवा दी है। रविवार को आखिरी टी-20 में वेस्टइंडीज ने टीम इंडिया को 8 विकेट से हराया। ऐसे में वनडे वर्ल्ड कप से पहले यह सवाल उठना लाजमी भी है।
फ्लोरिडा के मैदान पर मिली इस करारी हार के बाद हमने भी इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश की। हमने 2000 के बाद टीम इंडिया के भारतीय और विदेशी कोचों के परफॉर्मेंस खंगाले, जो आप आगे इस स्टोरी के जरिए पढ़ेंगे…
20 साल में विंडीज से 5 मैचों की 2 सीरीज हारे, द्रविड एक में कप्तान और दूसरी में कोच
20 साल में भारत ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 5 मैचों की 2 सीरीज ही गंवाई हैं। पहली 2006 और दूसरी 2023 में। 17 साल पहले की भारतीय टीम की कप्तानी राहुल द्रविड कर रहे थे, जबकि 2023 में वे कोच की भूमिका में हैं।
3 महीने पहले हारे WTC फाइनल
3 महीने पहले भारतीय टीम को 7-11 जून के बीच द ओवल स्टेडियम में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथ 209 रनों की करारी हार मिली थी। भारतीय टीम पिछले दस साल में एक भी ICC ट्रॉफी नहीं जीत पाई है। आखिरी बार टीम इंडिया ने 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी में जीत दर्ज की थी। दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया ने 10 सालों में तीनों फॉर्मेट के वर्ल्ड टाइटल जीत लिए हैं।
विदेशी कोच ने भारत को 5 में से 3 ICC ट्रॉफी जिताई हैं। 2013 के बाद भारत ने अनिल कुंबले, रवि शास्त्री और अब राहुल द्रविड़ को कोच बनाया, लेकिन किसी ICC टूर्नामेंट में सफलता नहीं मिल सकी।
शुरुआत में कोच नहीं मैनेजर होता था
1971 में वनडे क्रिकेट की शुरुआत हुई। तब भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम के साथ कोच होने की परंपरा नहीं थी। तब एक मैनेजर टीम के साथ होता था था। केकी तारापूर भारत के पहले मैनेजर थे। 1975 का वनडे वर्ल्ड कप हमने गुलाबराय रामचंद की मैनेजरशिप में खेला। 1979 में कोई मैनेजर नहीं था। दोनों ही बार श्रीनिवास वेंकटराघवन टीम इंडिया के कप्तान थे।
1983 में कपिल देव की कप्तानी में भारत ने वर्ल्ड कप जीता, तब पीआर मान सिंह मैनेजर थे। दोनों ही 1987 वर्ल्ड कप में भी टीम को लीड कर रहे थे। टीम इंडिया ने 1992 और 1996 का वर्ल्ड कप अजीत वाडेकर की देखरेख में खेला। वाडेकर के बाद संदीप पाटील टीम के साथ जुड़े और तब से कोच शब्द प्रचलन में आने लगा। 1999 वर्ल्ड कप में कपिल देव भारतीय टीम के मैनेजर और कोच दोनों थे।
2000 में पहली बार विदेशी कोच लाए
2000 में पहली बार न्यूजीलैंड के जॉन राइट को हेड कोच बनाया गया, जो टीम इंडिया के पहले विदेशी कोच थे। उनकी कोचिंग में टीम 2000 चैंपियंस ट्रॉफी की रनर-अप रही और 2002 की चैंपियंस ट्रॉफी जीती। हालांकि, तब भारत श्रीलंका के साथ संयुक्त विजेता रहा था। 2003 में टीम इंडिया ने 20 साल बाद वनडे वर्ल्ड कप फाइनल खेला और रनर-अप रहे। 2004 की चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में हम नहीं पहुंच सके।
राइट के बाद ऑस्ट्रेलिया के ग्रेग चैपल को कोच बनाया गया। उन्होंने टीम में बहुत बदलाव किए और टीम 2007 वनडे वर्ल्ड कप के ग्रुप स्टेज में ही बाहर हो गई। 2006 के दौरान भारत में हुई चैंपियंस ट्रॉफी भी हम जीत नहीं सके।
गैरी कर्स्टन ने जिताया वनडे वर्ल्ड कप
2007 टी-20 वर्ल्ड कप जीतने के दौरान लालचंद राजपूत टीम के कोच रहे, लेकिन फुल टाइम कोच नहीं बन सके। चैपल के बाद साउथ अफ्रीका के गैरी कर्स्टन को कोच बनाया गया।