आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : भास्कर के सवालों पर कपिल पांडे के जवाब…

सवाल- भारत-पाकिस्तान मैच से पहले आपकी कुलदीप ने बात की?

जवाब- हां, टीचर्स-डे के दिन उसका फोन आया था, वो भी बधाई देने के लिए। उस दिन वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया की घोषणा हुई थी। उसने अपने चयन की जानकारी दी। भारत-पाक मैच पर मैंने उससे कहा था कि वर्ल्ड कप टीम में उसका सिलेक्शन होना मेरे लिए टीचर्स डे पर इसे बेहतर गिफ्ट नहीं हो सकता। 2 सितंबर को पाकिस्तान के साथ मैच में बारिश की वजह से गेंदबाजी का मौका नहीं मिला, लेकिन सुपर-4 फोर में पाकिस्तान के कम से कम 4-5 विकेट लो, तो मुझे ज्यादा खुशी मिलेगी।

इस पर उसने मुझे भरोसा दिलाया था कि वे ऐसा करने की कोशिश करेगा। सोमवार को पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले में 5 विकेट लेकर अपनी कही बात को सही साबित किया। मैं चाहता हूं अगर एशिया कप के फाइनल में पाकिस्तान के साथ टीम इंडिया का मैच हो या वर्ल्ड कप में 14 अक्टूबर को वह खेले तो ऐसा कारनामा फिर करे।

सवाल- कुलदीप यादव पाकिस्तान के खिलाफ मैच में काफी बदले हुए नजर आ रहे थे। क्या बदलाव किए?

जवाब- काफी अच्छी गेंदबाजी की। उन्होंने गेंदबाजी में बदलाव नहीं किए हैं। अगर वह फ्लिपर डाल रहे थे, वैसे ही डाल रहे थे जैसा पहले डालते थे। उसी तरह गुगली, तो पहले की ही तरह इसमें कोई बदलाव नहीं किया। हां, लाइन लेंथ पर काफी मेहनत की है और उस पर काफी काम किया है। जो मैच में नजर भी आया। पहले छोटी बॉल काफी डाल दे देते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।

आज 90 प्रतिशत गेंद उन्होंने एक समान लाइन लेंथ पर डालीं, जिससे उनको विकेट मिले। पहले जहां उनका हाथ साइड में गिर जाता था, लेकिन आज सीधा रहा। यानी बॉलिंग के दौरान हाथ और पैर के बीच बेहतर कोऑर्डिनेशन था। पहले बॉडी कोऑर्डिनेशन में कमी थी। जिसकी वजह से कई बार वे दिशा से भटक जाते थे, पर आज ऐसा नहीं रहा। उन्होंने इस पर भी काम किया। जो मैच में नजर आया।

सवाल- लाइन लेंथ और बॉडी कोऑर्डिनेशन में सुधार के लिए क्या काम किया?

जवाब- लाइन लेंथ को बेहतर करने के लिए स्पॉट बॉलिंग की प्रैक्टिस की। यानी एक दूरी निश्चित किया कि गेंद को वहीं पर टप्पा खाए। साथ ही हाथ-पैर, सिर सबमें बेहतर कोऑर्डिनेशन हो। इस पर ध्यान दिया, ताकि गेंद फ्लाइट हो तो डिप करे और स्पिन चाहें तो टप्पा खाने के बाद स्पिन हो।

बॉलिंग के दौरान पैर पहले ज्यादा ऊंचा नहीं उठता था, वहीं हाथ भी सीधा जाने की बजाय साइड में जाता था। इसके लिए ड्रिल किया। प्रैक्टिस सेशन में बॉलिंग करने के दौरान एंगल पर ध्यान देना, हाथ को सीधे रखने पर फोकस किया।

सवाल- इसके लिए आपने क्या शेड्यूल बनाया था?

जवाब- जब वे टीम से बाहर थे और नेशनल क्रिकेट एकेडमी में भी कैंप नहीं लगा होता था, तब कानपुर में ही रहते थे, तो करीब 7-8 प्रैक्टिस करते थे। वे सुबह 8 बजे आकर स्पॉट बॉलिंग करते और 11-12 बजे तक ग्राउंड पर रहते थे और लाइन लेंथ को बेहतर करने पर काम करते थे। फिर दोपहर 3 बजे आते और देर शाम 7-8 बजे तक ग्राउंड पर समय बिताते थे। उस दौरान एक्शन पर काम करते थे। ज्यादा देर तक एक्सरसाइज करते थे।

सवाल- जब टीम से बाहर थे, तो मैच प्रैक्टिस का अभ्यास कैसे करते थे?

जबाव- हफ्ते में एक-दो बार आपस में ही मैच खेलते थे। उस समय कुलदीप जब मैच परिस्थितियों के अनुसार बॉलिंग करते थे, तब हम देखते थे कि जो अभ्यास कर रहे हैं, वह मैच में कितना अमल कर रहे हैं। फिर मैच के बाद उस पर हम दोनों बात करते थे। जो कमियां रह जाती थीं, उस पर फोकस करते थे और अगले मैच में उनकी कोशिश होती थी, उस कमी को दूर कर लें।

सवाल- कुलदीप को बेहतर करने के बाद भी भारतीय टीम में मौका नहीं मिलता था। तब कैसे मोटिवेट करते थे?

जवाब- देखिए जब टीम इंडिया में जगह नहीं मिलती थी वह निराश जरूर होते थे, लेकिन जब IPL में टीमें मौका नहीं देती थीं, तब वे हताश हो जाते थे; क्योंकि टीम इंडिया में तो टीम संयोजन की वजह से कई बार जगह नहीं मिल पाती है, लेकिन IPL में ऐसा नहीं था। कई बार प्लेइंग इलेवन में मौका नहीं मिलता था। अगर मिलता भी तो एक-दो ओवर ही बॉलिंग करने के लिए दिया जाता था। आप IPL में एक-दो ओवर करके विकेट नहीं ले सकते हैं। बहुत से लोग कहते हैं कि कुलदीप का फॉर्म सही नहीं था। ऐसा बिल्कुल नहीं रहा। वो हमेशा फॉर्म में रहे, पर मौका नहीं मिला।

2021 में जब उन्हें दिल्ली कैपिटल्स से मौका मिला और कप्तान पंत ने उन पर भरोसा जताया तो वह लगातार चार मैचों में मैन ऑफ द मैच रहे।

दिल्ली से पहले जब IPL टीम उन्हें मौका नहीं दे रही थीं, तब मैंने उनसे कहा था कि टीम बदलें। मुझे लगता है कि दिल्ली कैपिटल्स से पहले जिस टीम में थे, वह टीम उन पर भरोसा नहीं कर पा रही थी। दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान ऋषभ पंत और कोच रिकी पोंटिंग ने भरोसा जताया, तो उन्होंने टीम के लिए अच्छा भी किया।