आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : आदिवासियों की सहजता और प्रेम से हमारी सम्वेदनाएं मुखरित होती हैं और इनसे जुड़ कर हम अच्छे कलाकार बन सकते हैं। ये बात प्रसिद्द कलाकार देवीलाल पाटीदार ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन के डिज़ाइन शिविर में स्पिकमैके के सहयोग से चल रही गोंड परधान पेंटिंग वर्कशॉप के प्रतिभागियों से कही। उन्होंने कहा कि आदिवासी कलाकार अपने जनजीवन, रीति-रिवाज़, रहन-सहन, परम्परा आदि को चित्रित करते हैं और आजकल उसमें भी नए-नए प्रयोग करते हैं जबकि बहुत से आधुनिक कलाकार अपना परिवेश छोड़कर कुछ अलग करने के चक्कर में कुछ सार्थक नहीं कर पाते। ये वर्कशॉप पद्मश्री दुर्गाबाई व्याम और सुभाष व्याम द्वारा ली जा रही है। दुर्गाबाई ने उल्लू और मोर की एक आदिवासी कहानी सुनाई और उसके चरित्र के चित्र बनवाए।
डिज़ाइन शिविर के चौथे दिन का पहला सत्र क्ले मॉडलिंग था जिसमे प्रतिभागियों ने सेंटरिंग की प्रैक्टिस की व्हील वर्क और कोइलिंग टेक्निक से पॉट बनाये। प्रतिभागियों के लिए ये नया अनुभव था। आज की सांस्कृतिक प्रस्तुति विहान ड्रामा वर्क्स के मार्गी बैंड की थी जिसमे उन्होंने नाटक का संगीत, कविता और लोक गीत प्रस्तुत किये।