आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: ये फिल्में तो आपको याद होंगी ही। सभी साउथ की हैं, इसके अलावा इनमें दूसरा कॉमन फैक्टर क्या है? इन सभी के डायरेक्टर हैं शंकर। शंकर भारत के दूसरे सबसे महंगे फिल्म डायरेक्टर हैं, जो एक फिल्म निर्देशन के फिलहाल 40 करोड़ रुपए चार्ज कर रहे हैं। ये भारत के उन चुनिंदा डायरेक्टर्स में से एक हैं, जिनका सक्सेस रेट 100% है। बीते 30 सालों में 13 फिल्में बनाईं, सभी हिट रही हैं। आज शंकर का 60वां जन्मदिन है।

शंकर मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद एक टाइपराइटर बनाने वाली कंपनी के मुलाजिम थे। दिलचस्पी फिल्मों में थी, हीरो बनना चाहते थे। मौका भी मिला, मगर कुछ ही फिल्मों के बाद उन्हें समझ आ गया कि वो हीरो नहीं बन सकते। फिर डायरेक्शन में हाथ आजमाया। 1993 में आई तमिल फिल्म जेंटलमैन से शुरू हुआ डायरेक्शन का सफर आज भी जारी है।

दक्षिण भारतीय फिल्मों के साथ ही शंकर ने एक हिंदी फिल्म नायक भी बनाई। यह साउथ फिल्म की ही रीमेक थी। इस फिल्म के लिए शंकर चाहते थे कि एक सीन के लिए अनिल कपूर अपने सीने के बाल साफ कर लें, लेकिन अनिल अड़ गए। तब शंकर ने सीन में ऐसा बदलाव किया कि सीन पहले से ज्यादा बेहतर बन गया और अनिल कपूर को बाल भी साफ नहीं कराने पड़े।

शंकर का जन्म 17 अगस्त 1963 को कुंभकोणम, जिला तंजावुर, तमिलनाडु में हुआ था। उनका पूरा नाम शंकर शनमुगम है। उन्होंने सेंट्रल पॉलिटेक्निक कॉलेज, तंजावुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। इसके बाद वो टाइपराइटिंग कंपनी में काम करने लगे। शंकर को हमेशा से ही फिल्मों में दिलचस्पी थी और वो एक्टर बनना चाहते थे।

वो स्टेज शोज बनाने का काम भी करते थे। उनकी एक छोटी सी टीम भी थी। एक बार इन्हीं स्टेज शोज पर तमिल के मशहूर फिल्ममेकर एस.ए. चंद्रशेखर की नजर पड़ी। उन्होंने बतौर स्क्रिप्टराइटर शंकर को फिल्मों में मौका दिया।

शंकर इस ऑफर को लेकर असमंजस में थे, क्योंकि वो एक्टर बनना चाहते थे। काफी सोचने के बाद शंकर ने एस.ए. चंद्रशेखर के ऑफर को स्वीकार कर लिया। इसके बाद चंद्रशेखर ने उन्हें फिल्म जय शिव शंकर (1990) में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम दिया।