आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : भोज मुक्त विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ इस कार्यशाला का विषय है “दूरस्थ और ऑनलाइन शिक्षा के लिए स्वर अधिगम सामग्री का अभिकल्पन और विकास”। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में शिक्षा जगत के अनेक दिग्गजों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। तीन दिवसीय इस कार्यशाला का आयोजन मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय भोपाल के सभागार में किया जा रहा है। कार्यशाला में भाग लेने लिए लगभग 300 से ज्यादा विभिन्न संकाय के अनेक प्राध्यापकों और लेखकों ने ऑनलाइन- ऑफलाइन पंजीयन करवाए।
सत्र की शुरुआत मुख्य अतिथि के उद्बोधन से हुई। केजी सुरेश, कुलपति, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ने अपने वक्तव्य में कहा की ऑनलाइन शिक्षा के बारे में कोरोना काल से हमारी सोच में काफी बदलाव आया है। कोरोना काल में ही हमें इसके महत्व के बारे में पहली बार समझ आया है। भारत के सभी शिक्षकों ने इसी कोरोना काल में ऑनलाइन माध्यम से विद्यार्थियों तक शिक्षा पहुंचाई है। शिक्षक भी कोरोना वारियर से कम नहीं हैं। सुरेश ने कहा की ऑनलाइन माध्यम के द्वारा हम विश्व के किसी भी प्रतिष्ठित विद्वान शिक्षक या वैज्ञानिक को हमारे क्लासरूम तक ला सकते हैं, वह भी बहुत कम खर्चे में। ऐसा केवल इस माध्यम के द्वारा ही हो सकता है। आज शिक्षा को ऑनलाइन माध्यम ने लाइफ लोंग लर्निंग में बदल दिया है। प्रोफेसर सुरेश ने कहा कि पहले ओपन एजुकेशन के बारे में जनता में कई भ्रांतियां थी, लेकिन आज वही ओपन और मुक्त शिक्षा को काफी अच्छी नजर से देखा जाता है।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में सारस्वत वक्ता के रूप में उपस्थित संतोष कुमार पांडा, निदेशक , इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने कहा की भोज विश्वविद्यालय की बुनियाद इसके पूर्ववर्ती कुलपतियों ने बहुत अच्छी रखी है; और इस विश्वविद्यालय की भूमिका नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में भी अग्रणी रहेगी, ऐसी आशा है। उन्होंने कहा कि हमें अंग्रेजी से प्रभावित शिक्षा प्रणाली का बहुत फायदा हुआ है किंतु इसका एक नुकसान यह भी हुआ है की ऐसे शोध और विकास कार्य जो अंग्रेजी भाषा के अलावा दूसरी भाषा में हुए हैं उससे हम वंचित रहे हैं।
संतोष पांडे ने शिक्षकों का आवाह्न करते हुए कहा कि आपको राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है और यह कार्यशाला स्व अधिगम पाठ्य सामग्री के विकास में आपको उचित कौशल प्रदान करेगी।